
Himachal Highcourt : टेंडर में अनियमितता पर कार्यकारी अभियंता को पद से हटाने के आदेश
पोल खोल न्यूज़ | शिमला
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने जल शक्ति विभाग में टेंडर प्रक्रिया में अनियमितताओं पर सख्त रुख अपनाया है। प्रदेश अदालत ने जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान पाया कि ई-टेंडरिंग से बचने के लिए काम को टुकड़ों में विभाजित कर ऑफलाइन टेंडर जारी किए जा रहे हैं। वहीं, इसे देखते हुए अदालत ने जल शक्ति विभाग के ज्वाली डिविजन के कार्यकारी अभियंता अजय शर्मा को तत्काल पद से हटाने और उनकी सेवाएं वापस लेने के आदेश दिए हैं। अदालत ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि उन्हें किसी भी तरह के वित्तीय मामलों से संबंधित महत्वपूर्ण और टेंडरिंग कार्य नहीं दिए जाएंगे। मामले की अगली सुनवाई 16 सितंबर को होगी।
मुख्य न्यायाधीश गुरमीत सिंह संधावालिया और न्यायाधीश रंजन शर्मा के खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए पाया कि टेंडर की सीमा पांच लाख होने के बावजूद विभाग उससे कम के ऑफलाइन टेंडर जारी कर रहा है। बिना ई-टेंडरिंग के टेंडर आवंटन में मापदंडों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं और प्रकिया का उल्लंघन हो रहा है। हाईकोर्ट ने 4 अगस्त 2025 को जारी किए गए टेंडर अधिसूचना पर रोक लगा दी है। बता दें कि कोर्ट ने निर्देश दिया कि अगली सुनवाई तक कोई भी नया टेंडर ई-टेंडरिंग के बिना जारी नहीं किया जाएगा। टेंडर जारी करते समय कामों को विभाजित नहीं किया जाएगा बल्कि कम काम को ध्यान में रखा जाएगा। कोर्ट ने जल शक्ति विभाग के ज्वाली डिविजन में कार्यकारी अभियंता के रूप में तैनात रहे अजय शर्मा के खिलाफ लगे आरोपों पर विशेष ध्यान दिया है।
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कोर्ट को जनहित याचिका के माध्यम से सूचित किया गया कि अजय शर्मा 29 मार्च को सरकारी सेवा से सेवानिवृत्त हुए। 2 अप्रैल को इसी पद पर पुन नियुक्ति के बाद उन्होंने कार्यकारी अभियंता का पदभार संभाला। कोर्ट ने इस बात पर चिंता व्यक्त की है कि पुन नियुक्ति के बाद अजय शर्मा ने 4 अगस्त को 49 कामों के लिए टेंडर जारी करने का फैसला किया, जिनमें से सभी की राशि 1 लाख से कम थी। कोर्ट ने कहा कि ई-टेंडर प्रक्रिया से बचने के लिए कामों को जानबूझकर छोटे हिस्सों में बांटा जा रहा है।