Diksha Thakur | Pol Khol News Desk
जाखू मंदिर/ शिमला
हिमाचल प्रदेश को देवभूमि के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि यहां देवी-देवताओं के कई मंदिर हैं। आज हम आपको हिमाचल प्रदेश के जाखू मंदिर जोकि शिमला में स्थित है उसके बारे में बताएंगे। यह एक प्रमुख मंदिर है जो जाखू पहाड़ी पर स्थित है। यह मंदिर शिवालिक पहाड़ी श्रृंखलाओं की हरी-भरी पृष्ठभूमि के बीच शिमला का सबसे ऊँचा स्थल है। जाखू मंदिर एक प्राचीन स्थान है जिसका उल्लेख कई पौराणिक कथाओं में किया गया है और यह पर्यटकों को एक रहस्यमयी दृश्य प्रदान करता है। जाखू मंदिर हिंदू भगवान हनुमान जी को समर्पित है। यह स्थल शिमला में सबसे ज्यादा देखे जाने वाले मंदिरों में से एक है जो हिंदू तीर्थयात्रियों और भक्तों के साथ हर उम्र और धर्मों के पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करता है।
जाखू मंदिर में हनुमान जी की एक बड़ी प्रतिमा है जो शिमला के अधिकांश हिस्सों से दिखाई देती है। मंदिर शिमला में रिज से लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। जाखू मंदिर में हनुमान जी की मूर्ति देश की सबसे ऊंची मूर्तियों में से एक है जो 108 फीट ऊंची है। इस मूर्ति के सामने आस-पास लगे बड़े-बड़े पेड़ भी बौने लगते हैं। इस मंदिर के बारे में पौराणिक कथा है कि लक्षमण को पुनर्जीवित करने के लिए संजीवनी बूटी खोजने के लिए जाने से पहले भगवान हनुमान कुछ आराम करने के लिए इस मंदिर वाले स्थान पर रुके थे।
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जाखू मंदिर की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार राम-रावण युद्ध के दौरान लक्ष्मण जी के मूर्छित हो जाने पर संजीवनी बूटी लेने के लिए हिमालय की ओर आकाश मार्ग से जाते हुए हनुमान जी की नजर यहां तपस्या कर रहे यक्ष ऋषि पर पड़ी। जिस समय हनुमान पहाड़ी पर उतरे, उस समय पहाड़ी उनका भार सहन न कर सकी। परिणाम स्वरूप पहाड़ी जमीन में धंस गई। मूल पहाड़ी आधी से ज्यादा धरती में समा गई।
बाद में इसका नाम यक्ष ऋषि के नाम पर ही यक्ष से याक, याक से याकू, याकू से जाखू तक बदलता गया। हनुमान जी विश्राम करने और संजीवनी बूटी का परिचय प्राप्त करने के लिए जाखू पर्वत के जिस स्थान पर उतरे, वहां आज भी उनके पद चिह्नों को संगमरमर से बनवा कर रखा गया है।
यक्ष ऋषि से संजीवनी बूटी का परिचय लेने के बाद वापस जाते हुए उन्होंने मिलकर जाने का वचन यक्ष ऋषि को दिया और द्रोण पर्वत की तरफ चल पड़े। मार्ग में कालनेमि नामक राक्षस के कुचक्र में फंसने के कारण समय के अभाव में हनुमान जी छोटे मार्ग से अयोध्या होते हुए चल पड़े।
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जब वह वापस नहीं लौटे तो यक्ष ऋषि व्याकुल हो गए। लेकिन हनुमान जी याकू ऋषि को नाराज नहीं करना चाहते थे, इस कारण अचानक प्रकट होकर और अपना विग्रह बनाकर अलोप हो गए। जिसे लेकर यक्ष ऋषि ने यहीं पर हनुमान जी का मंदिर बनवाया। आज यह मूर्ति मंदिर में स्थापित है और दूर-दूर से लोग उनके दर्शन को आते हैं।
एक अन्य किवदंति के अनुसार हनुमान जब संजीवनी बूटी लेने जा रहे थे, तब उन्होंने जाखू मंदिर पर विश्राम किया था। बूटी के लिए जाते समय बजरंगबली ने शिमला की इस पहाड़ी पर विश्राम किया था। थोड़ी देर विश्राम करने के बाद हनुमान अपने साथियों को यहीं पर छोड़ कर अकेले ही संजीवनी बूटी लाने के लिए निकल पड़े थे। ऐसा माना जाता है कि उनके वानर साथियों ने यह समझकर कि बजरंगबली उनसे नाराज होकर अकेले ही गए हैं, उनका यहीं पहाड़ी पर वापस लौटने का इंतजार करते रहे। इसी के परिणामस्वरूप आज भी यहाँ बहुत ज्यादा संख्या में वानर पाए जाते हैं।
जाखू मंदिर की यात्रा करने का सबसे अच्छा समय
शिमला का शानदार मौसम इसे वर्ष के किसी भी समय घूमने के लिए एक शानदार पर्यटन स्थल बनाता है। शिमला में मार्च से जून के बीच गर्मी के महीनों में 20 डिग्री सेल्सियस का औसत तापमान रहता है। जुलाई के दौरान और उसके बाद बारिश का मौसम भारी बारिश के कारण यात्रा करना असुविधाजनक हो सकता है। लेकिन सितंबर से लेकर जनवरी तक सर्दियों के महीने सुखद और शांत होते हैं। इस मौसम में कभी-कभी बर्फ की बौछारों के साथ काफी ठंडी और भी ज्यादा सर्द हो सकती है।
ऐसे पहुंचें जाखू मंदिर शिमला
जाखू मंदिर पहाड़ी की चोटी पर स्थित मंदिर शिमला शहर के केंद्र से 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। जाखू मंदिर तक जाने के लिए या तो आप टैक्सी किराए पर ले सकते हैं या टट्टू की सवारी कर सकते हैं या पहाड़ी से 2 किलोमीटर की सुरम्य पगडंडी पैदल चल सकते हैं। मंदिर तक पहुंचने के लिए रोपवे/ केबल कार भी उपलब्ध है।
सड़क मार्ग : अगर आप सड़क मार्ग से जाखू मंदिर या शिमला की यात्रा करना चाहते हैं तो बता दें कि शिमला सड़क मार्ग से देश के कई बड़े शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। राष्ट्रीय राजमार्ग 22 शिमला को चंडीगढ़ से जोड़ता है, जो इसका निकटतम बड़ा शहर है। शिमला सड़क माध्यम से हिमाचल प्रदेश के प्रमुख शहरों और कस्बों से भी जुड़ा हुआ है। एचआरटीसी मुख्य सार्वजनिक क्षेत्र की परिवहन सेवा है। आप लक्जरी, सेमी-डीलक्स, ए/सी और नॉन ए/सी बसों के बीच से यात्रा कर सकते हैं। चंडीगढ़ से दिन भर शिमला के लिए बसें हैं और दिल्ली से दैनिक बसें हैं। चंडीगढ़ और दिल्ली से आप शिमला के लिए कैब या टैक्सी भी किराये पर ले सकते हैं।
रेल मार्ग : जाखू मंदिर मुख्य शिमला शहर से 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। अगर आप ट्रेन से शिमला या जाखू मंदिर के लिए यात्रा करना चाहते हैं तो बता दें कि शिमला में अपना एक छोटा रेलवे स्टेशन है जो शहर के केंद्र से सिर्फ 1 किलोमीटर दूर है और यह एक छोटी गेज रेल ट्रैक द्वारा कालका से जुड़ा हुआ है। शिमला की टॉय ट्रेन कालका और शिमला के बीच चलती है जो दोनों के बीच की 96 किलोमीटर की दूरी लगभग 7 घंटे में तय करती है। कालका शिमला के करीब का रेलवे स्टेशन है, जो नियमित ट्रेनों द्वारा चंडीगढ़ और दिल्ली से जुड़ा हुआ है। आपको दिल्ली और चंडीगढ़ से कालका के लिए ट्रेन लेनी होगी।
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हवाई मार्ग : जुबारहटी शिमला से लगभग 23 किलोमीटर दूर है जो इसका निकटतम हवाई अड्डा है। जुब्बड़हट्टी के लिए चंडीगढ़ और दिल्ली कई नियमित उड़ानें उपलब्ध हैं। इस हवाई अड्डे पर पहुंचने के बाद आप शिमला जाने के लिए आसानी से टैक्सी प्राप्त कर सकते हैं और शिमला से जाखू मंदिर के लिए जा सकते हैं।