दीक्षा ठाकुर। हमीरपुर
मेडिकल कालेज में रोजाना पहुंच रहे 200 के करीब रोगी, बच्चे, बूढ़े और महिलाएं पहुंच रहीं इलाज करवाने
जिला के लोगों पर आंखों के रोग हावी हो गए हैं। इसका खुलासा आई ओपीडी की बढ़ी संख्या से हुआ है। डा. राधाकृष्णन मेडिकल कालेज एवं अस्पताल हमीरपुर में आंख रोगों से पीडि़त मरीजों की संख्या बढ़ गई है। ओपीडी में हो रही वृद्धि से आंख विभाग के चिकित्सकों का काम बढ़ गया है। हालांकि प्रर्याप्त चिकित्सक होने के कारण यहां पर मरीजों को जांच की बेहतर सुविधा मिल रही है। चांैकाने वाला आंकड़ा है कि अकेले आई ओपीडी में ही मरीजों की संख्या 150 से 200 पहुंच रही है। प्रि- मेच्योर पैदा होने वाले बच्चों में आंख रोगों का खतरा ज्यादा होता है। इसका खुलासा भी एक सर्वे में हो चुका है।
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हालांकि यह सर्वे काफी पहले हुआ था। अगर बात हमीरपुर की करें तो यहां भी आई ओपीडी में प्री-मिच्योर पैदा होने वाले बच्चों में आंखों की समस्या होने की बात कही गई है। इस तरह के बच्चों को जल्द ही चश्मा लग जाता है। बाद में इस चश्मे का नंबर बढ़ता रहता है। माना जाता है कि कुछ आयु सीमा तक इन्हें नियमित चश्मे के इस्तेमाल की आवश्यकता पड़ जाती है। अकसर देखा गया है कि सप्ताह के अंतिम दिन ओपीडी में नाममात्र मरीज होते हैं लेकिन आई ओपीडी में मरीजों की संख्या शनिवार को भी अधिक होने से सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि आंख रोगों ने हमीरपुर के लोगों को जकड़ा हुआ है। वहीं 50 की उम्र पार करते ही लोगों की आंखों को मोतियाबिंद का रोग जकड़ रहा है। उम्र बढऩे के साथ ही इसका प्रभाव बढ़ता है तथा 80 साल उम्र तक अधिकांश लोगों को या तो मोतियाबिंद हो जाता है।
मरीजों को इलाज की बेहतरीन सुविधा
मेडिकल सुपरिंटेंडेंट आरकेजीएमसी डा. अनिल वर्मा का कहना है कि आंख रोगों की ओपीडी में बढ़ोतरी हुई है। मरीजों को अस्पताल में बेहतर उपचार की सुविधा प्रदान की जा रही है। कई कारणों से आंखों के रोग हो सकते हैं जिनका उपचार किया जाता है।