रजनीश शर्मा | हमीरपुर
अटल बिहारी वाजपेयी एक ऐसी शख्सियत थे, जिन्होंने ना कभी हार मानी और ना ही कभी रुके। नाम की ही तरह उनके इरादे भी अटल थे। वह एक महान नेता और राष्ट्रवाद का प्रण लेकर जीवन में आगे बढ़ने वाले महान व्यक्ति थे, जिन्होंने रास्ते में आने वाली हर चुनौती को स्वीकार किया। देश की राजनीति में सक्रीय रहे अटल बिहारी वाजपेयी एक अच्छे नेता होने के साथ-साथ एक पत्रकार और कवि भी थे।
दुनिया को करवाया भारत की ताकत का अहसास
भारतरत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने राजस्थान के पोखरण में दूसरा परमाणु परीक्षण कर दुनियाभर में भारत की ताकत का अहसास कराया था। सहज और सरल व्यक्तित्व के धनी पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी इरादों के अटल थे। भारत की आजादी और राष्ट्र के नवनिर्माण में उनकी अहम भूमिका है।
पोखरण में दूसरा परमाणु परीक्षण कर सबको चौंका दिया
पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी के नेतृत्व वाली NDA सरकार ने 1998 में परमाणु शक्ति संपन्न देशों से बिना डरे राजस्थान के पोखरण में दूसरा परमाणु परीक्षण कर सबको चौंका दिया था। इस परमाणु परीक्षण की किसी को भनक तक नहीं लगने पाई थी। अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए भी हैरान रह गई थीं। पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी संयुक्त राष्ट्र संघ में राजभाषा हिन्दी में भाषण देने वाले भारत के पहले विदेशमंत्री थे, उन्होंने ऐसा कर दुनियाभर में न सिर्फ हिंदी, बल्कि हर भारतवासी को भी गौरान्वित किया था।
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1951 में छोड़ दी थी पत्रकारिता
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी छात्र जीवन से ही राजनीति में सक्रिय हो गए थे। वर्ष 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया। वह राजनीति विज्ञान और विधि के छात्र थे और कॉलेज के दिनों में ही उनकी रुचि विदेशी मामलों के प्रति बढ़ी। 1951 में भारतीय जन संघ में शामिल होने के बाद उन्होंने पत्रकारिता छोड़ दी।
11 बार रहे चुने गए सांसद, 1980 में बनाई पार्टी
पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी राजनीति के क्षेत्र में चार दशकों तक सक्रिय रहे। वह लोकसभा में नौ बार और राज्यसभा में दो बार चुने गए जो कि अपने आप में ही एक कीर्तिमान है। वाजपेयी 1980 में गठित भाजपा के संस्थापक अध्यक्ष भी रहे।
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मध्य प्रदेश को बनाया कर्मभूमि
उत्तर प्रदेश के सामान्य ब्राह्मण में जन्में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने मप्र को अपनी कर्मभूमि बनाई थी। ग्वालियर और विदिशा संसदीय सीट से लोकसभा चुनाव लड़कर उन्होंने मप्र भाजपा को नई ऊर्जा और सोच दी थी। आज 25 दिसंबर को उनके जन्मदिन पर सुशासन दिवस आयोजित किया जा रहा है। लोकतंत्र के सच्चे प्रहरी के रूप में उन्हें तब तक याद रखा जाएगा जब तक भारत में लोकतंत्र जिंदा है। दो वोटों की हार से सरकार गंवाना कोई उन से ही सीख सकता है क्योंकि प्रशासन शासन और लोकतंत्र में सच में वह सुशासन चाहते थे। उनकी जयंती पर पोल खोल न्यूज चैनल टीम श्रद्धा सुमन अर्पित करती है।