Diksha Thakur | Pol Khol News Desk
काली का मंदिर/ नाहन (सिरमौर)
जिला सिरमौर के नाहन ऐतिहासिक शहर के मंदिर भी प्राचीन हैं। अधिकतर मंदिरों का निर्माण रियासतकाल के वक्त ही हुआ। पिछले तीन दशक की बात करें तो कुछ नए मंदिर भी बने हैं। हैरिटेज टाउन के उत्तर-पूर्व में काली का मंदिर है। इस प्राचीन मंदिर को कालीस्थान भी कहा जाने लगा है।
मंदिर की स्थापना और कथा
रियासत काल में राजा विजय प्रकाश के शासन में काली स्थान शक्तिपीठ की स्थापना हुई थी। कहते हैं कि राजा का विवाह गढ़वाल के कुमाऊं में हुआ था। कुमाऊं वाली रानी मां काली की अनन्य भक्त थीं। वह दिन-रात मां की आराधना में लीन रहती थीं। विवाह के बाद रानी अपने साथ मां काली की प्रतिमा भी लाई थीं। बताते हैं कि राजमहल में भी मां काली का असर रानी पर राज परिवार के सदस्यों ने अक्सर देखा था। राजमहल में रानी के भीतर मां काली ने अपना रूप कई बार दिखाया, जिसके बाद राज परिवार ने मां काली की पिंडी स्वरूप स्थापना अपने पुरोहितों व राजगुरु से मंत्रणा कर की थी।
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आज जहां यह शक्तिपीठ है, वहां शहर आबाद हो चुका है लेकिन रियासत काल में इस मंदिर के आसपास घना जंगल था और शहर के लोग पूजा-अर्चना के लिए अके ले न जाकर समूह में जाते थे क्योंकि जंगली जानवरों के हमले का अंदेशा रहता था। रियासत काल में समय-समय पर मंदिर का जीर्णोद्धार हुआ। 80 के दशक में स्थानीय लोगों ने आपसी सहयोग से मंदिर का कायाकल्प किया। इस शक्तिपीठ में भक्तों की मुरादें शीश झुकाते ही क्षण भर में पूरी होती हैं।