
हाईवे : कहीं डंगे की दरकार, कहीं नक्शे का इंतजार बरसात में फिर मुश्किलें बढ़ने के आसार
पोल खोल न्यूज़ | सोलन
कालका-शिमला नेशनल हाईवे-5 का वह मंजर अभी तक आंखों के सामने आ जाता है जब चक्कीमोड़ में पहाड़ी से आए मलबे के साथ सड़क भी पूरी तरह ढह गई थी। एक अगस्त 2023 की रात 2:30 बजे यहां से आवाजाही पूरी तरह से थम गई। वाहनों की हाईवे पर भीड़ लग गई।
उस समय रोजमर्रा का सामान लाने वाले वाहन सड़क के दूसरी ओर रह गए। तेज बारिश में लोग सड़कों पर ही फंसे रहे और दो अगस्त का इंतजार करने लगे। सुबह तक सड़क के दोनों ओर सैकड़ों की संख्या में ट्रक और अन्य वाहन ही ट्रक दिखाई दिए। ऐसा हाल करीब एक सप्ताह तक रहा। मशीन सड़क बनाने के लिए रास्ता बनाती कि फिर से हजारों टन मिट्टी सड़क पर आ जाती। सात दिन बाद रोशनी की किरण जगी और दोनों ओर वनवे सड़क निकाली गई। उस दौरान पूरा हाईवे कई जगहों में बाधित हुआ। बरसात खत्म होने के बाद सड़क पर मरम्मत कार्य के लिए कई योजनाएं तैयार हुईं। लेकिन यह योजनाएं कागजों नों में में दबी रह गईं।
हालत 10 माह बाद भी कुछ ठीक नहीं है। परवाणू से सोलन के बीच कई जगहों पर डंगे लगने बाकी हैं। कई जगह सड़क बनाने के लिए नक्शे का इंतजार कंपनियां कर रही हैं। हालत न सुधरने पर आगामी दिनों में होने वाली बरसात में मुश्किलें बढ़ने के आसार हैं। चक्कीमोड़ में कई मीटर ऊंची पहाड़ी पर मात्र पांच मीटर का डंगा लगा कर इतश्री कर दी गई।
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सड़क के निचली ओर सपोर्ट के लिए सड़क पर डंगा लगाया है। इसी तरह के हाल सनवारा और तंबूमोड़ के हैं। वहां सड़क का एक हिस्सा ढह गया था। अभी तक यहां पर भी प्रोटेक्शन वॉल ही एनएचएआई लगवा पाया है। एक अन्य जगह पर काम शुरू ही नहीं हुआ है। पट्टामोड़ के समीप सड़क पर आया मलबा भी नहीं हटाया है। चक्कीमोड़ पर कार्य करने के लिए ड्राइंग और डिजाइन को सतलुज जल विद्युत प्रबंधन निगम (एसजेवीएन) तैयार करेगा। साथ ही कई जगहों पर कार्य भी नई कंपनी करेगी। एनएचएआई ने नई कंपनी को मिट्टी की जांच करवाने का जिम्मा दिया है। यह कार्य बीते दिनों ही पूरा होगा।
वहीं, धर्मपुर निवासी अंकुर ने कहा कि लंबी पहाड़ी पर केवल पांच मीटर का डंगा लगाना अपने आप में सवाल है। वहीं, चक्कीमोड़ निवासी घनश्याम ने बताया कि एनएचएआई ने सड़क को तैयार करने की योजना में 10 माह लगा दिए हैं। मेटलिंग की गई है।
भविष्य को देखते हुए ड्राइंग तैयार की जाएगी। कुछ दिनों में मिट्टी की रिपोर्ट आने की उम्मीद है। इसके बाद चक्कीमोड़ में कार्य शुरू करवाया जाएगा।
– आनंद दहिया, प्रोजेक्ट डायरेक्टर, एनएचएआई