हिमाचल में सूखे जैसे हालात, गेहूं की बिजाई अटकी
पोल खोल न्यूज़ | शिमला
हिमाचल प्रदेश में बारिश नहीं होने की वजह से सर्दी के मौसम में भी सूखे जैसे हालात पैदा हो गए हैं। अधिकांश क्षेत्रों में गेहूं की बिजाई अटक गई है। प्रदेशभर में पिछले कई दिनों से मौसम साफ है। अक्तूबर सूखा बीत गया। अब मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के अनुसार 10 नवंबर तक बारिश के आसार नहीं हैं। ऐसे में किसान बारिश की आस में आसमान की ओर टकटकी लगाए बैठे हैं। हिमाचल प्रदेश कृषि विभाग के पूर्व अतिरिक्त निदेशक डॉ. एचआर शर्मा ने कहा कि 15 नवंबर तक गेहूं की बिजाई होना जरूरी है।
इसके बाद बिजाई करने से फसल प्रभावित होगी। कई क्षेत्रों में अब तक गेहूं की बिजाई कर ली जाती थी। किसान आसमान पर नजरें टिकाए हैं कि जब बारिश होगी तो बुवाई करेंगे। उल्लेखनीय है कि गेहूं हिमाचल प्रदेश की प्रमुख रबी की फसल है। राज्य में करीब 85 फीसदी क्षेत्र में खेती वर्षा पर ही निर्भर रहती है। उधर, रविवार को सोलन में अधिकतम तापमान 29.0 और धर्मशाला में 27.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।
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अक्तूबर में बारिश न होने से इस बार किसान रबी की फसल नहीं लगा पाए हैं। केवल सिंचित क्षेत्र के किसान ही गेहूं की बिजाई कर पाए हैं। मटर और चने के लिए पहले ही समय निकल गया है। गेहूं के लिए भी नवंबर के पहला सप्ताह सबसे उपयोगी माना जाता है। अभी तक खेत सूखे होने से किसान बिजाई नहीं कर पाए हैं। जिन किसानों की खेत में पानी की सुविधा है वे ही गेहूं बिजाई का कार्य कर पाएंगे। नालागढ़ क्षेत्र में 6 हजार हेक्टेयर जमीन पर गेहूं की खेती की जाती है।
75 फीसदी किसान बारिश पर निर्भर हैं। 25 फीसदी किसानों के ही खेतों में पानी की सुविधा है। इस बार अक्तूबर में बारिश नहीं हुई। इससे किसान मक्की और धान की कटाई के बाद खेत तैयार नहीं कर पाए है। अब खेत पूरी तरह से सूख गए हैं। सूखे खेत में गेहूं की बिजाई करने से गेहूं नहीं उगेगी। नवंबर के पहले सप्ताह से गेहूं की बिजाई का समय शुरू हो जाता है लेकिन अभी तक किसान अपने खेत तैयार नहीं कर पाए है।
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विभाग के पास जो बीज हैं वे अगेती किस्म का है। अगर समय पर बीज नहीं लगाया तो पैदावार कम हो सकती है। रामपुर जखोली के किसान राजेश कुमार, घनसोत के प्रेम सिंह, सनेड़ के राम रतन, भाटियां के देवेंद्र चंदेल, करसोली के अशोक कुमार, खेड़ा के अवतार सिंह व महेश ने बताया कि बारिश के अभाव में मटर की बिजाई किसान पहले ही नहीं लगा पाए है। अरकल मटर सितंबर में लगता है। उसका समय तो अब निकल गया है, लेकिन दूसरा आजात पी-वन मटर के प्रजाति का भी समय निकलता जा रहा है।
खेत सूखे होने से किसान अभी तक मटर भी नहीं लगा पाए हैं। डूमनवाला गांव के किसान अमर चंद ठाकुर ने बताया कि जिन किसानों के पास सिंचाई की सुविधा है वहां पर किसानों ने तोरिया लगा रखा है। यह 60 दिन में तैयार होता है। तोरिया तैयार होने के बाद ही यहां पर भी गेहूं की बिजाई होगी। कृषि विभाग के विषयवाद विशेषज्ञ डॉ. संदीप गौतम ने बताया कि उनके पास अभी गेहूं की लेट वैरायटी नहीं है। जो बीज उपलब्ध है वह नवंबर के शुरू में ही लग जाना चाहिए। तभी इसके अच्छे परिणाम आएंगे।