
डंके की चोट पर : विधायक आशीष की अगुवाई में हमीरपुर शहर में फिर औंधे मुंह गिरी कांग्रेस, सलाहकारों की फौज पर भी उठे सवाल
रजनीश शर्मा । हमीरपुर
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के गृह जिला में छह माह के भीतर हमीरपुर शहर में सत्तारूढ़ कांग्रेस दूसरी बार औंधे मुंह गिरी है। ताजा घटनाक्रम में कांग्रेस पार्टी को नगर परिषद हमीरपुर में अध्यक्ष पद से हाथ धोना पड़ा है।विधायक आशीष की अगुवाई में हमीरपुर में भाजपा विधानसभा उपचुनाव जीतने के बाद अब नगर परिषद को भी कांग्रेस के कब्जे से छुड़ाने में कामयाब हुई है। इससे जहां विधायक आशीष शर्मा को मजबूती मिली है वहीं कई धड़ों में बंटी हमीरपुर विधानसभा की कांग्रेस की पोल भी खुल कर सामने आई है। हमीरपुर विधानसभा उपचुनाव हरवाने वाले कांग्रेसियों ने फिर से कांग्रेस की ही फजीहत करवाई है।
सलाहकारों की फौज पर भी सवाल
हमीरपुर विधानसभा उपचुनाव के बाद नगर परिषद को भी सत्ता में होते हुए कांग्रेस अपने सत्ता का प्रभाव नहीं भुना पाई है। यही वजह रही है कि छह माह के भीतर कांग्रेस को शहर की सरकार में हार का सामना करना पड़ा है। इससे अपने आप को बड़े रणनीतिकार समझने वाले सलाहकारों की फौज की भी खासी फजीहत हुई है। विधानसभा उपचुनाव हारने के बाद कांग्रेस हमीरपुर जिला में अब तक सहज नहीं हो पाई लेकिन नगर परिषद की सत्ता गंवाने के बाद तो कांग्रेस की सियासत हमीरपुर शहर में गुटबाजी को लेकर चर्चा में आ चुकी है।
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प्रताड़ना के बावजूद विधायक आशीष की रणनीति मजबूत हुई
भाजपा समर्थित पार्षद अविश्वास प्रस्ताव की बैठक में हिस्सा लेने से पहले विधायक आशीष शर्मा की अगुवाई में आयोजित बैठक में शामिल हुए। इस बैठक में अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग को लेकर रणनीति तय हुई। इसी का नतीजा रहा कि सभी सात भाजपा समर्थित पार्षद पार्टी के निर्णय के साथ दिखे। बेशक फरवरी 2024 के बाद आशीष शर्मा और उनके परिजन प्रताड़ना के शिकार हैं लेकिन इनका मनोबल देखते ही बनता है।
सुजानपुर से भी कांग्रेस ने नहीं सीखा सबक
हमीरपुर शहर की सियासत में कांग्रेस सत्ता को नहीं भुना पाई है। छह माह पूर्व जुलाई में नगर परिषद सुजानपुर के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद के लिए अविश्वास प्रस्ताव के बाद वोटिंग हुई थी। इस दौरान वोटिंग में कांग्रेसी विधायक कैप्टन रंजीत राणा ने हिस्सा लिया था, लेकिन अध्यक्ष पद पर भाजपा समर्थित पार्षद शकुंतला देवी और उपाध्यक्ष पद मनीष गुप्ता ने जीत हासिल की थी। वहीं, अब नगर निगम हमीरपुर की राजपत्र में घोषणा के दूसरे ही दिन कांग्रेस के हाथ से कुर्सी छिटक गई है।
ये 7 पार्षद ने अविश्वास प्रस्ताव के दौरान भाजपा के साथ खड़े रहे
वार्ड नंबर तीन से डिंपलबाला, चार से उपाध्यक्ष संदीप भारद्वाज, छह से सुदेशानंद, आठ से विनय कुमार, नौ से पुष्पा शर्मा और दस से सुशील शर्मा और 11 नंबर वार्ड से वकील सिंह ने अविश्वास प्रस्ताव के समर्थन में मत दिया है। यह सभी पार्षद भाजपा समर्थित हैं।
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ये हैं चार कांग्रेस समर्थित
वार्ड नंबर एक से नीना चौधरी, दो से राज कुमार, पांच से राधारानी और सात से मनोज मिन्हास ने अविश्वास प्रस्ताव के खिलाफ मत दिया है। 11 सदस्यीय हमीरपुर नगर परिषद में जिस तरीके से चार समर्थकों वाली कांग्रेस जिस ढंग से काबिज थी , वह स्थिति अपने आप में ही हास्यास्पद थी।
अब नए अध्यक्ष के चुनाव में देरी न करे सरकार : आशीष शर्मा
भाजपा विधायक आशीष शर्मा ने कहा कि नए अध्यक्ष के चुनाव में देरी न करे। अब हाइकोर्ट के आदेशों पर लोकतंत्र की जीत और कांग्रेस की तानाशाही की हार हुई है। प्रदेश में तानाशाही चल रही है। इस तानाशाही को करारा जवाब मिला है। भाजपा विचारधारा के पार्षदों ने मनोज मिन्हास को अध्यक्ष की कुर्सी पर काबिज किया था लेकिन वह पार्टी से दगा कर कांग्रेस में शामिल हो गए थे।