
11 महीने बीत जाने के बावजूद भी सुजानपुर प्रशासन हुआ फेल साबित
बिंदिया ठाकुर | सुजानपुर
सुजानपुर में प्रशासन की नाकामी का ऐसा काला अध्याय लिखा जा रहा है, जिसे सुनकर हर नागरिक का खून खौल उठे। 11 महीने बीत चुके हैं, लेकिन प्रशासन की नींद नहीं खुली। सवाल उठता है—आखिर क्यों? क्या प्रशासन ने किसी खास को बचाने की कसम खा रखी है, या फिर भ्रष्टाचार का ऐसा घिनौना खेल खेला जा रहा है जिसकी परतें अब खुलने लगी हैं? मामला सुजानपुर होली मेले की पार्किंग ठेकेदारी का है। सुजानपुर नगर परिषद उपाध्यक्ष मुनीष गुप्ता ने बताया कि साल 2024 में पार्किंग ठेके की बोली 15 लाख रुपए में लगी, लेकिन प्रशासन ने ठेकेदार से मात्र 7 लाख रुपए ही वसूले। बाकी के 8 लाख रुपए का हिसाब देने में प्रशासन को आखिर 11 महीने क्यों लग गए? और सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब ठेकेदार ने लाखों का मुनाफा कमा लिया, तो प्रशासन उस पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं कर रहा।
अगर कोई आम व्यापारी होता, तो क्या प्रशासन इतनी ही नरमी दिखाता? क्या उसे भी ऐसे ही लाखों की छूट दी जाती? नहीं! फिर इस ठेकेदार के लिए प्रशासन इतना उदार क्यों है? क्या इसके पीछे कोई राजनीतिक दबाव है या फिर किसी अधिकारी की जेब गरम की गई है? सिर्फ यही नहीं इस ठेकेदार ने प्रशासन की आंखों में धूल झोंकने का दूसरा तरीका भी खोज लिया। नगर परिषद द्वारा मिली 91 नंबर दुकान को खुद इस्तेमाल करने की बजाय इसे किराए पर दे दिया और खुद मजे लूट रहा है। क्या नगर परिषद इस गोरखधंधे से अनजान है, या फिर मोटी रकम के लालच में आंखें मूंदे बैठी है?
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मुनीष गुप्ता ने बताया कि जब 2020 में कोरोना जैसी वैश्विक महामारी चल रही थी, तब भी सुजानपुर का होली मेला हुआ था। उस समय की प्रशासन अधिकारी शिल्पी वेक्ता ने किसी के साथ भेदभाव नहीं किया। लेकिन 2024 आते-आते प्रशासन इतना लाचार और बेईमान कैसे हो गया। अगर प्रशासन को पैसे माफ ही करने हैं, तो फिर बाकी सभी व्यापारियों को भी उनके पैसे वापस करने चाहिए। प्रशासन को जनता को जवाब देना होगा कि आखिर एक ही व्यक्ति को इतनी छूट क्यों दी जा रही है?
मुनीष गुप्ता ने कहा कि अगर जल्द ही प्रशासन इस मामले में जवाब नहीं देता, तो जनता को सड़कों पर उतरकर इस भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठानी होगी। सुजानपुर महाराजा संसार चंद की ऐतिहासिक नगरी है, जहां अन्याय और भेदभाव के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए।