
“एक भारत-श्रेष्ठ भारत” अभियान के तहत टौणी देवी स्कूल में सांस्कृतिक व्यंजनों की शानदार प्रस्तुति
रजनीश शर्मा | हमीरपुर
कक्षा छठी से आठवीं की परीक्षाएं पूर्ण हो चुकी हैं और अब बच्चों को वार्षिक परिणाम निकलने तक खेलकूद एवं अन्य गतिविधियों को सिखाया जाएगा इसी कड्डी में “एक भारत-श्रेष्ठ भारत“ कार्यक्रम के अंतर्गत राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय टौणी देवी में केरल व हिमाचल प्रदेश के व्यंजनों की प्रदर्शनी लगाई गई, जिसमें बच्चों ने केरल और हिमाचल के लजीज व्यंजन बनाकर परोसे। केरल के व्यंजनों में प्रमुख रूप से सांभर, डोसा, इडली, उपमा, रसम, नारियल चटनी, सलाद को केले के पत्तों पर स्थानीय तरीके से परोसा गया। हिमाचल के व्यंजनों में सीडू,सेमियां, ववरू, ऐन्कली, सेपू बड़ी, हिमाचली धाम, दही – भल्ला, पटदे आदि व्यंजन परोसे गए। इन व्यंजनों की तैयारी में छात्रों ने विशेष रुचि दिखाई।
बच्चों ने अपने व्यंजनों को आकर्षक तरीके से सजाया और पारंपरिक अंदाज में परोसा, जिससे उपस्थितजन मंत्रमुग्ध हो गए। इस कार्यक्रम उद्देश्य हिमाचल प्रदेश से जोड़े गए दक्षिण भारत के राज्य केरल की कला संस्कृति, व्यंजनों, पाककला के बारे में बच्चों को अवगत कराना है। इस कार्यक्रम का आयोजन नोडल अधिकारी तनु सेन की देखरेख में हुआ, जबकि राजेश, सुरेश, संजीव, लीना, प्रमिला, अदिति, नेहा, सुनीता, अनीता, कविता, कुसुम लता सहित अन्य अध्यापक भी उपस्थित रहे। इस कार्यक्रम में स्कूल प्रधानाचार्य रजनीश रांगडा ने मुख्यातिथि के तौर पर शिरकत की। इस दौरान कार्यक्रम में आए सभी बच्चों को पुरस्कृत भी किया गया।
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प्रधानाचार्य ने इस अवसर पर बताया कि ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ अभियान का एक प्रमुख उद्देश्य विद्यार्थियों में परस्पर सहयोग और प्रेम की भावना को विकसित करना है। जब विभिन्न राज्यों के विद्यार्थी एक-दूसरे की संस्कृति, भाषा, भोजन, पहनावे और परंपराओं को जानने का अवसर पाते हैं, तो उनके मन में एकता और सद्भाव की भावना प्रबल होती है। इस अभियान के तहत जब हिमाचल प्रदेश के छात्रों ने केरल की संस्कृति को समझा और केरल के बच्चों ने हिमाचली परंपराओं को अपनाया, तो दोनों राज्यों के बच्चों के बीच आत्मीयता बढ़ी। नृत्य, संगीत, कला और भोजन जैसी सांस्कृतिक गतिविधियों में भाग लेते हुए उन्होंने सहयोग और सामूहिकता का महत्व समझा। एक-दूसरे की विविधताओं को सम्मान देने से उनके मन में भाईचारे की भावना उत्पन्न हुई, जिससे यह संदेश स्पष्ट हुआ कि भले ही भारत के भिन्न-भिन्न हिस्सों में लोग अलग रीति-रिवाज अपनाते हों, परंतु सभी एक ही सूत्र में पिरोए हुए हैं।
इस प्रकार यह अभियान बच्चों को सिखाता है कि परस्पर सहयोग और प्रेम न केवल व्यक्तिगत विकास के लिए आवश्यक है, बल्कि सामाजिक समरसता और राष्ट्रीय एकता के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। जब विद्यार्थी इन मूल्यों को आत्मसात करेंगे, तभी ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ का वास्तविक उद्देश्य साकार हो सकेगा।