
टौणी देवी के छात्र आपदा प्रबंधन में दिखा रहे हैं सजगता और संकल्प
रजनीश शर्मा | हमीरपुर
भारत के 244 जिलों में जहाँ आज एक साथ सिविल मॉक ड्रिल का राष्ट्रीय आयोजन हो रहा है वहीँ स्वर्ण जयंती राजकीय (उत्कृष्ट) वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला, टौणी देवी में भी मॉक ड्रिल में भागीदारी के साथ राष्ट्रभक्ति की भावना का प्रदर्शन किया गया इस अभ्यास का उद्देश्य था—युद्ध या आपदा जैसी गंभीर परिस्थितियों से देश के नागरिकों को सुरक्षित निकालने की तैयारी और सजगता को परखना। मॉक ड्रिल के माध्यम से विद्यार्थियों को यह सिखाया गया कि किस प्रकार से संकट के समय वे न केवल स्वयं को, बल्कि अपने आस-पास के लोगों को भी सुरक्षित रखने में मददगार हो सकते हैं।
विद्यालय के निजी सुरक्षा व्यवसाय के छात्र-छात्राओं ने इस मॉक ड्रिल में भाग लेकर आगजनी, भूकंप, बम विस्फोट या अन्य आपातकालीन स्थितियों में तत्काल प्रतिक्रिया देने की प्रक्रिया को व्यवहारिक रूप में सीखा। इन्हें प्राथमिक उपचार, घायलों को सुरक्षित स्थान तक पहुंचाना, अग्नि सुरक्षा उपाय, आपदा के समय संचार माध्यमों का प्रयोग तथा सुरक्षित निकासी जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं का प्रशिक्षण दिया गया। इस विशेष अभ्यास का संचालन कर रहे थे विद्यालय के अनुभवी प्रशिक्षक होशियार सिंह, जो भारतीय सेना में अपनी सेवाएं दे चुके हैं। उन्होंने छात्रों को सेना की कार्यप्रणाली से प्रेरित करते हुए अनुशासन, समयबद्धता और टीमवर्क के महत्व को समझाया। उन्होंने कहा, आपदा का समय चेतना, सजगता और सामूहिक प्रयास की परीक्षा होती है। यदि हम पहले से प्रशिक्षित और मानसिक रूप से तैयार हैं, तो किसी भी संकट से प्रभावी ढंग से निपटा जा सकता है।
विद्यालय के प्रधानाचार्य रजनीश रांगड़ा ने सभी प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए न केवल उनके प्रदर्शन की सराहना की, बल्कि भारतीय सेना के पराक्रम और प्रेरणा को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि भारतीय सेना के शौर्य और पराक्रम ने हमेशा देशवासियों के हृदय में गर्व और विश्वास की भावना को और दृढ़ किया है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसी निर्णायक कार्रवाई इस विश्वास की पुनः पुष्टि करती है कि जब भी भारत की अस्मिता, संस्कृति या नागरिकों की सुरक्षा को चुनौती मिलेगी, तब हमारी सेना पूरी शक्ति और सटीकता से उसका उत्तर देगी। यह केवल एक सैन्य बल नहीं, बल्कि राष्ट्र की आत्मा की रक्षा करने वाली शक्ति है। हर भारतीय नागरिक को गर्व है कि हमारे सैनिक न केवल सीमाओं की रक्षा करते हैं, बल्कि हमारे गौरव, हमारी आस्था और हमारी नारी गरिमा की भी ढाल बनकर खड़े हैं।
सैनिकों के साहस, अनुशासन और समर्पण ने देश को यह विश्वास दिलाया है कि हम सुरक्षित हाथों में हैं। यह पराक्रम केवल युद्ध का नहीं, बल्कि आदर्श, कर्तव्य और मातृभूमि के प्रति अपार प्रेम का प्रतीक है। भारतीय सेना हमारा आत्मबल और हमारा अभिमान है । इस ऑपरेशन के शुरू होते ही पूरे देश में राष्ट्रवाद और गौरव की भावना उभर कर सामने आई है। महिलाएं गर्व से कह रही हैं कि आज उनका सिंदूर सुरक्षित है क्योंकि उनके पीछे पूरा देश खड़ा है। प्रधानाचार्य ने यह भी कहा कि आपदा प्रबंधन का यह अभ्यास छात्रों के समग्र विकास की दिशा में एक ठोस प्रयास है। ऐसे आयोजनों के माध्यम से न केवल व्यावसायिक शिक्षा को बल मिलता है, बल्कि राष्ट्र निर्माण की भावना भी छात्रों में गहराई से विकसित होती है।