दीक्षा ठाकुर। हमीरपुर
अब हिमाचल प्रदेश में मौसम विभाग की तरह ही भूमि जल बोर्ड भी भू-जल की पल पल की जानकारी संबंधित क्षेत्र के लोगों से शेयर कर पाएगा। इसके लिए केंद्र से हरी झंडी मिलने के बाद केंद्रीय भू-जल बोर्ड उत्तरी हिमालय क्षेत्र धर्मशाला की ओर से तैयारियां शुरू कर दी हैं। प्रदेश के 205 स्थानों को आॉटोमैटिक वाटर लेवल रिकॉर्डर लगाए जाएंगे। इससे पहाड़ के भू-जल का आकलन ऑनलाइन किया जाएगा। हिमाचल में मौजूदा समय में मैनुअल ही वाटर लेवल देखा जाता है। केंद्रीय भू-जल बोर्ड उत्तरी हिमालय क्षेत्र ने प्रदेश में कुल 140 स्थान चिन्हित किए हुए हैं। जहां पर मैनुअल वाटर लेवल देखा जाता है। प्रदेश में वाटर लेवल लगातार कम हो रहा है। ऐसे में इसे मेंटेन करने के लिए लगातार प्रयास चल रहे हैं। केंद्रीय भू-जल बोर्ड उत्तरी हिमालय क्षेत्र धर्मशाला के रिजनल डायरेक्टर जेएन भगत ने बताया कि प्रदेश भर के 205 स्थानों पर ऑटोमैटिक वाटर लेवल रिकॉर्डर लगाने की मंजूरी केंद्र की ओर से मिली है।
इसके तहत प्रदेश के 14 स्थानों पर वाटर लेवल रिकॅार्डर लगाने की प्रक्रिया शुरू की गई है। इनमें कांगड़ा, बिलासपुर, सिरमौर, कुल्लू, हमीरपुर और ऊना शामिल हैं। अन्य स्थानों पर अगले वर्ष यह प्रक्रिया शुरू की जाएगी। वाटर लेवल रिकॉर्डर लगाने के लिए पहले ट्यूबवेल लगाए जाएंगे, जो कि सेंसर युक्त होंगे और पल पल की जानकारी बोर्ड तक पहुंचाएंगे। इससे पहले समूचे प्रदेश में इस तरह की सुविधा मौजूद नहीं थी, लेकिन इस टेक्रोलाजी के आ जाने के बाद अब जहां बोर्ड का समय बचेगा वहीं समय पर सही जानकारी भी मिल पाएगी। जेएन भगत ने बताया कि प्रदेश में यूं तो जल स्तर अभी पर्याप्त है, लेकिन फिर भी प्रदेश के कुछ मैदानी इलाकों जैसे ऊना, नालागढ़ व कालाअंब आदि स्थानों में भूजल के लगातार गिरने की आशंका है। इनमें से ज्यादातर इलाके औद्योगिक क्षेत्रों के हैं। ऐसे में अब बोर्ड कृत्रिम जल संग्रहण प्रणाली को अपनाने जा रहा है, ताकि भू-जल को उस जल से रिचार्ज किया जा सके। (एचडीएम)