
शिमला : हिमरी नाला सड़क के लिए 875 पेड़ काटने पर सुप्रीम रोक
पोल खोल न्यूज़ | शिमला
सुप्रीम कोर्ट ने शिमला ग्रामीण निर्वाचन क्षेत्र के तहत हिमरी नाला रोड पर 875 पेड़ों को अनावश्यक कटाई पर रोक लगा दी है। यह आदेश न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन और न्यायमूर्ति नोंगमीकापम कोटिश्वर सिंह की खंडपीठ ने जारी किए। बता दें कि हिमरी गांव के विजयेंद्र पाल सिंह ने शीर्ष अदालत में एक अंतरिम आवेदन दायर किया गया था, जबकि मुख्य याचिका अभी हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में लंबित है। याचिका में वन, खनन माफिया और संबंधित अधिकारियों के बीच मिलीभगत को लेकर गंभीर आरोप लगाए गए हैं।
वहीं, प्रस्तुत दस्तावेजों में संरक्षित वन क्षेत्रों (डीपीएफ) के भीतर अवैध रूप से 17 किलोमीटर से अधिक की सड़कों का निर्माण किया गया है। वन अधिकारियों ने स्थानीय ग्रामीणों की कई शिकायतों और आवेदनों को नजरअंदाज किया है। आरोपों में यह भी शामिल है कि डीपीएफ के बाहर अवैध रूप से निर्मित सड़कों को वन अधिकार अधिनियम (एफआरए) के तहत मंजूरी दी गई है, जो कथित रूप से अधिकारियों की मिलीभगत को उजागर करती है।
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इसके अलावा याचिकाकर्ताओं ने पंचायत के आसपास हो रही अवैध खनन गतिविधियों को भी उजागर किया है। वहीं, याचिकाकर्ताओं ने कहा कि वह गांवों से संपर्क के खिलाफ नहीं हैं, बल्कि पेड़ों की अनावश्यक और अनियंत्रित कटाई का विरोध करते हैं। उनका तर्क है कि वैकल्पिक रास्ते उपलब्ध हैं, जो दूरी को कम करेंगे और कटने वाले पेड़ों की संख्या को 80 फीसदी से अधिक तक कम कर देंगे। इससे पहले भी हिमरी और आसपास के क्षेत्रों में एक संगठित गिरोह की ओर से अवैध रूप से मेपल के पेड़ों की कटाई की सूचना दी गई थी, जिसे वन अधिकारियों और सतर्कता विभाग के ध्यान में लाया गया था।
इन रिपोर्टों के बावजूद पिछले वर्ष में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। इस मामले की निगरानी कर रहे एनजीओ पहाड़ी समाज पर्यावरणीय कवज के सेवानिवृत्त मेजर जनरल अतुल कौशिक ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर अपनी संतुष्टि व्यक्त की। उन्होंने कहा कि यह रोक आदेश क्षेत्र के पारिस्थितिक संतुलन को बनाए रखने और स्थानीय समुदाय की चिंताओं को संबोधित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।