
झंडा रस्म, शोभायात्रा व हवन यज्ञ के बाद कलंझड़ी माता मेला शुरू, मुख्य अतिथि सुरेश रांगड़ा ने की विशेष पूजा अर्चना
रजनीश शर्मा । हमीरपुर
हमीरपुर आवाहदेवी सड़क किनारे एनआईटी से तीन किलोमीटर दूर सराहकड़ गांव में माता कलंझड़ी देवी मेला बुधवार को शुरू हो गया। मेले की शुरुआत रांगड़ा परिवारों के पुश्तैनी घर से झंडा पूजन, शोभा यात्रा और शंखनाद से हुआ। मुख्य अतिथि समाज सेवी सुरेश रांगड़ा ने विशेष पूजा अर्चना कर मेले की शुरुआत की। अधिष्ठात्री देवी के नाम से विख्यात इस धार्मिक मंदिर में दूर दूर से लोग माथा टेकने और रोट चढ़ाने पहुंचे।
जोधाराम मिस्त्री ने बनाया मंदिर
कलंझड़ी माता मंदिर के पुश्तैनी पुजारी एवं संचालक अजय रांगड़ा ने बताया कि उनके पड़दादा जोधा राम मिस्त्री ने करीब 170 साल पहले इस मंदिर का निर्माण किया । उन्होंने यह बताया कि जोधाराम ने ही अंग्रेजों के जमाने में हमीरपुर तहसील भवन का निर्माण करवाया था। अजय रांगड़ा ने बताया कि उनके दादा स्वतंत्रता सेनानी स्वर्गीय सूबेदार श्रवण सिंह तथा दादी प्रभी देवी ने मंदिर की खूब सेवा की। दादी प्रभी देवी लगातार 65 वर्ष इस मंदिर की सेवा में लगी रही। पुश्तैनी पुजारी अजय रांगड़ा ने बताया कि उनके पिता स्वर्गीय सूबेदार मेजर जय कृष्ण , चाचा हवलदार शक्ति चंद ने भी कलंझड़ी माता मंदिर की लगातार सेवा की और मंदिर को भव्य रूप दिया। अब भी मंदिर की तहज़मीन पिता स्वर्गीय सूबेदार मेजर जय कृष्ण के नाम है वर्तमान में पुश्तैनी पुजारी अजय रांगड़ा ने मंदिर की सेवा कर इसे भव्य रूप प्रदान किया है।
ये भी पढ़ें: अब घायल को अस्पताल पहुंचाने पर मिलेंगे 25 हजार रुपये, सरकार ने की नई पहल
यूं मिली माता कलंझड़ी की मूर्ति
अजय रांगड़ा के मुताबिक सराहकड़ गांव के साथ लगाते इलाके में कुछ लोग हल जोत रहे थे। अचानक हल एक जगह फंसा और बार बार हल जंप मारने लगा। जब वहां खुदाई की तो माता की मूर्ति निकली। लोगों ने अनुष्ठान पूर्ण उस मूर्ति को वर्तमान स्थान पर लाया और रख दिया। इसके बाद इस मूर्ति को यहां से कोई न हिला सका । आज भी वही मूर्ति सिद्ध पीठ महामाया काली श्री कलंझड़ी देवी मूल स्थान सराहकड़ में मंदिर के अंदर विराजमान है।
रांगड़ा परिवारों की कुल देवी है माता कलंझड़ी
सिद्ध पीठ महामाया काली श्री कलंझड़ी देवी आज भी रांगड़ा परिवारों की कुल देवी है। यहां रांगड़ा परिवार हर खुशी के मौके पर मन्नत मांगने और माथा टेकने दूर दूर से आते हैं । पुजारी अजय रांगड़ा के दादा सूबेदार श्रवण सिंह के 6 पुत्र थे। उन्हीं के वंशज और सराहकड़ गांव के ग्रामीण मिलजुलकर माता मंदिर की सेवा करते हैं।