
हिमाचल की जेलों में अब वर्चुअल माध्यम से होगी हर तरह की पेशी
पोल खोल न्यूज़ | शिमला
हिमाचल की जेलों में कैदियों की पेशी का तरीका पूरी तरह से बदलने वाला है। अब गुजरात की तर्ज पर कैदी कोर्ट में वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश होंगे, जिससे जेल से कोर्ट तक उन्हें लाने-ले जाने की जरूरत खत्म हो जाएगी। यह व्यवस्था लागू करने के लिए प्रदेश की जेलों में स्थापित वीडियो कॅन्फ्रेंसिंग सिस्टम अपग्रेड किया जाएगा। इस बदलाव से जहां समय और संसाधनों की बचत होगी, वहीं कैदियों को कोर्ट लाने-ले जाने का जोखिम भी खत्म हो जाएगा। उच्च न्यायालय और प्रदेश सरकार से मंजूरी मिलते ही इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू होगा।
हिमाचल प्रदेश की जेलों में ई-पेशी की व्यवस्था 2019 में शुरू हो चुकी है, लेकिन मौजूदा समय में सिर्फ रिमांड की अवधि बढ़ाने के लिए ही इसका इस्तेमाल हो रहा है। अन्य पेशियों के लिए कैदियों को बटालियन अथवा गार्द के साथ ही कोर्ट भेजा जाता है। इसका खर्चा कारागार विभाग उठाता है। केंद्रीय आदर्श कारागार कंडा में बटालियन की एक छोटी टुकड़ी विशेष तौर पर कैदियों को लाने ले जाने के लिए तैनात है। अन्य जेलों में इसके लिए पुलिस लाइन से गार्द मांगी जाती है। कारागार विभाग सालाना लाखों रुपये कैदियों को पेशी के लिए लाने ले जाने पर खर्च कर रहा है। नई व्यवस्था लागू होने से यह पैसा बचेगा और इसका प्रयोग कैदियों के कल्याण की अन्य योजनाओं पर खर्च किया जा सकेगा। नई प्रणाली से कैदियों को जेल परिसर से ही वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट में पेश किया जाएगा। प्रदेश की सभी 14 जेलों में यह व्यवस्था लागू की जाएगी।
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वहीं, कारागार विभाग अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक अभिषेक त्रिवेदी ने बताया कि गुजरात की जेलों में 45 फीसदी कैदियों की पेशी वर्चुअल माध्यम से हो रही है। हिमाचल की जेलों में भी सभी तरह की पेशियां वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से शुरू करने का प्रस्ताव है। न्यायालय और सरकार की मंजूरी के बाद तुरंत यह व्यवस्था लागू की जाएगी। इससे विभाग के समय और धन की बचत होगी।
जेलों में वीडियो कांफ्रेंसिंग को हाईटेक बनाने के बाद कैदियों के लिए टेली मेडिसन की सुविधा भी उपलब्ध करवाई जाएगी। जेलों में तैनात डॉक्टर कैदियों के स्वास्थ्य को लेकर विशेषज्ञ डाक्टरों के साथ चर्चा कर सकेंगे। कैदियों की परिजनों से बातचीत करवाने के लिए भी वीडियो कांफ्रेंसिंग का इस्तेमाल होगा।