
पोल खोल न्यूज़ डेस्क
शिमला
पीडब्ल्यूडी में बड़े फैसलों से विकास कार्यों की गति बढ़ गई है। बीते एक साल में सबसे बड़ा बदलाव टेंडर प्रक्रिया में देखने को मिला है। पीडब्ल्यूडी के ठेकेदारों को टेंडर हासिल करने के लिए अब 60 दिन का लंबा इंतजार नहीं करना पड़ रहा है। खास बात यह है कि कागजी औपचारिकताएं पूरी होने के ठीक बाद टेंडर को ऑनलाइन कॉल किया जा रहा है और महज 10 दिन में टेंडर प्रक्रिया पूरी हो रही है। आगामी दस से बीस दिन में टेंडर लैटर भी अवार्ड किए जा रहे हैं। विभाग की इस रफ्तार का असर जमीन पर भी नजर आ रहा है। विभागीय कार्यों में तेजी आने के बाद विकास के कार्य भी तय अवधि में पूरे हो रहे हैं। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने पीडब्ल्यूडी में टेंडर प्रक्रिया में बदलाव को लेकर आदेश जारी किए थे। इसके बाद लोक निर्माण विभाग के मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने लगातार बैठकों में मिल रहे सुझाव के बाद बदलाव को सिरे चढ़ाने का फैसला किया। पीडब्ल्यूडी में बड़े फैसलों की बात करें तो मौजूदा साल की शुरूआत में ही राज्य सरकार ने सत्ता पर काबिज होने के ठीक बाद पांच लाख रुपए से कम के टेंडर भी ऑनलाइन किए गए थे।
इस अवधि के दौरान ऑफलाइन टेंडर प्रक्रिया को रोक दिया गया। हालांकि बाद में ऑफलाइन टेंडर प्रक्रिया को दोबारा बहाल करने का फैसला लिया गया था। उस समय राज्य सरकार ने प्रदेश के आर्थिक हालातों को मजबूत करने के मद्देनजर यह कदम उठाए जाने की बात कही थी। इसके साथ ही राज्य सरकार ने काम की गति को बढ़ाने के साथ ही अधिशासी अभियंता की वित्तीय शक्तियों को बढ़ाने का फैसला किया है। अधिशाषी अभियंता की वित्तीय शक्तियों में एक करोड़ रुपए की बढ़ोतरी की गई है। पहले यह एक करोड़ रुपए तक सीमित थी, जबकि मुख्यमंत्री सुक्खू के आदेश के बाद इन्हें दो करोड़ रुपए कर दिया गया है। अधीक्षण अभियंता की शक्तियों को एक करोड़ रुपए से बढ़ाकर छह करोड़ रुपए करने का फैसला भी राज्य सरकार ने इसी साल लिया, जबकि छह करोड़ रुपए से अधिक के कार्य के लिए मुख्य अभियंता को अधिकृत किया गया। सरकार के इस फैसले के बाद प्रदेश में विभागीय कामों की रफ्तार बढ़ी है।
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बरसात में मिली बड़ी चुनौती
इस साल पीडब्ल्यूडी के लिए सबसे बड़ी चुनौती बरसात के दौरान पेश आई थी। प्रदेश भर में सबसे ज्यादा नुकसान पीडब्ल्यूडी को हुआ था। विभाग ने करीब 2900 करोड़ रुपए के नुकसान का आकलन किया था। इस दौरान 116 पुल क्षतिग्रस्त और पूरी तरह से तबाह भी हुए थे। विभाग के लिए सबसे बड़ी चुनौती सेब के सीजन में गाडिय़ों को पार लगाने की थी। इस अवधि के दौरान विभाग ने वैली ब्रिज और वैकल्पिक माध्यमों से सेब को मंडी तक पहुंचाने का काम पूरा किया।
18 करोड़ के 12 वैली ब्रिज खरीदे
पीडब्ल्यूडी ने 18 करोड़ रुपए से 12 वैली ब्रिज की खरीद की है। इस साल बरसात के बाद हुए नुकसान से इस खरीद में विभाग को बड़ा फायदा मिला है। इन पुलों की खरीद कोलकाता की दो कंपनियों से खरीदा गया है। इनमें गार्डन एंड रीच कंपनी से नौ जबकि रूफ एंड ब्रिज कंपनी से तीन पुलों की खरीद की गई है। बरसात के दौरान क्षतिग्रस्त हुए पुलों की जगह वैली ब्रिज का इस्तेमाल किया गया है। प्रदेश भर में बरसात के दौरान 19 पुल पूरी तरह से धराशायी हो गए थे। इन पुलों के टूटने से 58 करोड़ 20 लाख का नुकसान हुआ था।
टेंडर प्रक्रिया में बदलाव से तेजी
पीडब्ल्यूडी के प्रमुख अभियंता अजय गुप्ता का कहना है कि टेंडर प्रक्रिया में बदलाव से विभागीय कार्यों में तेजी आई है। अब ऑनलाइन टेंडर प्रक्रिया 10 दिन में पूरी हो रही है। इसका लाभ समय पर काम पूरा होने के रूप में भी मिल रहा है। छह करोड़ रुपए तक की शक्तियां अधीक्षण अभियंता स्तर पर दी गई हैं। इससे फैसले लेने में तेजी आ रही है। उन्होंने कहा कि विभाग मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और पीडब्ल्यूडी मंत्री विक्रमादित्य सिंह से मिल रहे आदेशों के अनुरूप पारदर्शिता से काम कर रहा है।