पोल खोल न्यूज़ डेस्क
मंडी
मंडी जिले में पिछले साल बरसात में उपजे हालातों के बाद अब एनएचएआई चार से सात मील तक नेशनल हाईवे पर दो टनल बनाने के लिए संभावनाएं तलाश रहा है।
हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में पिछले साल बरसात में उपजे हालातों के बाद अब एनएचएआई चार से सात मील तक नेशनल हाईवे पर दो टनल बनाने के लिए संभावनाएं तलाश रहा है। इसके लिए बाकायदा सर्वे शुरू हो गया है। यहां पहले एक टनल बनाने की योजना थी, लेकिन अब सर्वे में दो टनल की संभावना देखी जा रही है। यदि फिजिविलिटी सही पाई जाती है तो यहां दो टनल बनाई जाएंगी। बीते बरसात में भयानक त्रासदी झेलने के बाद अब एनएचएआई टनल निर्माण पर अधिक ध्यान देने की दिशा में आगे बढ़ता हुआ नजर आ रहा है। मंडी से पंडोह के बीच छह मील और अन्य स्थानों बारिश के कारण निर्माणाधीन फोरलेन प्रोजेक्ट को भारी नुकसान पहुंचा। ऐसे में एनएचएआई ने चार मील से सात मील के बीच फोरलेन प्रोजेक्ट में बदलाव करते हुए एक टनल बनाने का निर्णय लिया।
दो किलोमीटर लंबी यह टनल एकतरफा यातायात के लिए बनाई जानी थी और मौजूदा हाईवे को भी यातायात के लिए बहाल रखा जाना था, लेकिन अब एनएचएआई एक के स्थान पर दो टनलों को बनाने पर विचार कर रहा है। यदि दो टनल बनने की संभावना बनती है तो मौजूदा सड़क से भविष्य में आवाजाही नहीं होगी। भविष्य में भी यहां कई तरह के खतरों की आशंका है, जिसके चलते यहां पर दो टनलें बनाने की योजना बनाई जा रही है। एक टनल पर जाने के लिए और दूसरी टनल से आने के लिए यातायात की व्यवस्था की जाएगी। हालांकि अभी इस दिशा में सर्वे चला हुआ है और यहां पर टनल की संभावना पूरी तरह से तय होने के बाद ही इसकी सारी डीपीआर बनाकर मंत्रालय को जाएगी।
बता दें कि 2023 की बरसात में चंडीगढ़-मनाली नेशनल हाईवे मंडी जिला में मंडी से पंडोह के बीच ही सबसे ज्यादा प्रभावित रहा। यहां छह मील के पास पहाड़ी इतनी ज्यादा दरकी कि अब यहां पर फोरलेन प्रोजेक्ट की कटिंग के कार्य को रोक दिया गया है। चार मील से मंडी की तरफ और सात मील से पंडोह की तरफ ही कार्य किया जा रहा है। बीच में दो किमी की टनल बनाने के चलते इस कार्य को रोका गया है।
मंडी से पंडोह के बीच टनल निर्माण को लेकर सर्वे करवाया जा रहा है। इस सर्वे रिपोर्ट के बाद ही यहां पर टनल निर्माण की संभावनाओं का पता चल पाएगा। यदि टनल निर्माण की संभावनाएं बनती हैं तो फिर एक के स्थान पर दो टनलें भी बनाई जा सकती हैं।-वरुण चारी, परियोजना निदेशक, एनएचएआई