रजनीश शर्मा। हमीरपुर
किसी दौर में जनसंघ के अध्यक्ष रहे और हमीरपुर जिला के मजबूत नेता स्वर्गीय जगदेव चंद ठाकुर की विरासत की सियासत भी रोचक है। जगदेव परिवार में कभी स्वयं ठाकुर जगदेव चंद, उनकी बहू उर्मिल ठाकुर और बेटे नरेंद्र ठाकुर की सियासत में ऊंची पहुंच देखने को मिलती थी। आज दौर बदल गया है। उर्मिल ठाकुर बीजेपी की अपनी ही सियासत की शिकार हुई तो नरेंद्र ठाकुर एक साल पहले निर्दलीय प्रत्याशी आशीष शर्मा ने चुनाव हार राजनीतिक संघर्ष के दौर में हैं।
आइए बात स्वर्गीय ठाकुर जगदेव चंद की सियासत से शुरू करते हैं। हमीरपुर जिले में जनसंघ, जनता पार्टी और इसके बाद भाजपा नेता के रूप में ऐसे स्थापित हुए कि लगातार पांच बार विधायक बने। वह मंत्री भी रहे। उनके सामने कांग्रेस व भाजपा नेता भी मुकाबले में नहीं टिक पाए।
जगदेव ठाकुर को हमीरपुर जिला से लीड, बिलासपुर ऊना से पिछड़े
जगदेव चंद ने पहला चुनाव बतौर सांसद लड़ा था। उन्हें हमीरपुर जिले से भरपूर समर्थन मिला लेकिन बिलासपुर व ऊना जिले से कम वोट पडऩे के कारण प्रेम सिंह वर्मा से तीन हजार मतों से पराजित हो गए थे। 1993 में उनके निधन होने के बाद छोटे बेटे नरेंद्र ठाकुर ने चुनाव मैदान संभाला।
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धूमल हमीरपुर जीते, सुजानपुर हारे
नरेंद्र ठाकुर पहले चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी अनीता वर्मा से हार गए। इसके बाद उनकी भाभी उर्मिल ठाकुर मैदान में उतरी। भाजपा ने उन्हें टिकट दिया और वह जीत गईं। अगला चुनाव हार गईं और फिर जीत गईं। पुनर्सीमांकन के बाद उर्मिल ठाकुर का टिकट बदलकर उन्हें सुजानपुर भेज दिया। पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने जगदेव चंद ठाकुर की परंपरागत सीट पर जीत दर्ज की। धूमल हमीरपुर में जीते लेकिन 2017 में सुजानपुर हार गए।
राजेंद्र राणा करते रहे चुनावी रिजल्ट में उलटफेर
उर्मिल ठाकुर सुजानपुर से हार गईं और आजाद प्रत्याशी राजेंद्र राणा जीत गए। कांग्रेस के टिकट पर राणा ने सांसद का चुनाव लड़ा और अनुराग ठाकुर से हार गए। विधानसभा उपचुनाव में नरेंद्र ठाकुर ने सुजानपुर में कांग्रेस प्रत्याशी राजेंद्र राणा की पत्नी अनीता राणा को हराया।
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सुजानपुर को नरेंद्र ने जीता, धूमल हारे
राणा संसदीय चुनाव हार। 2017 के विधानसभा चुनाव में नरेंद्र ठाकुर को हमीरपुर से चुनाव मैदान में उतारा गया और वह पिता की कर्मभूमि पर भाजपा का ध्वज बुलंद करने में कामयाब हो गए। सुजानपुर में उनकी जगह पर शिफ्ट हुए प्रेम कुमार धूमल चुनाव हार गए। इस अदला बदली में उर्मिल ठाकुर सियासत की लड़ाई में गौण हो गई जिसका नुकसान उल्टा भाजपा को ही भुगतना पड़ा। जिन लोगों ने उर्मिल को हराया वे लोग वापिस भाजपा में न आ पाए और नुकसान भाजपा को हुआ। राणा इसी चक्रव्यूह को तोड़ते हुए 2022 का चुनाव भी जीत गए जबकि जगदेव परिवार की विरासत को तरजीह न मिलने का नुकसान 2022 में भी भाजपा को भुगतना पड़ा।
कांग्रेस में आती जाती रही ठाकुर जगदेव की विरासत
इस बीच उर्मिल ठाकुर भाजपा में हाशिए पर धकेले जाने के कारण नाराज होकर कांग्रेस में चली गईं लेकिन कांग्रेस की सदस्यता नहीं ली। इससे पहले नरेंद्र ठाकुर भी भाजपा में ऐसी ही परिस्थितियों के कारण कांग्रेस में चले गए थे। 2009 में उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था और अनुराग ठाकुर से हार गए। 2012 में उन्होंने हमीरपुर सदर से कांग्र्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा और हार गए।
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ठाकुर जगदेव के कठोर निर्णयों से डरते थे अधिकारी
ठाकुर जगदेव पेशे से एडवोकेट थे। हर नियम कानून को बारीकी से जानते थे। यही वजह थी कि कोई भी अधिकारी अनके आगे काम को लेकर न नुकर करने का साहस नहीं रखता था। हमीरपुर जिले में भाजपा की नींव जगदेव चंद ठाकुर ने ही रखी थी। हमीरपुर सदर सीट से विधायक रहे नरेंद्र ठाकुर ने कहा उनके पिता 1962-63 में जनसंघ के प्रदेशाध्यक्ष बने थे। उस दौर में कांग्रेस का बोलबाला होता था। उनके पिता ने 1967 में सबसे पहले जनसंघ के टिकट पर सांसद का चुनाव लड़ा था। उनके पिता ने हमीरपुर जिले से करीब 10 हजार मतों की लीड ली थी। कांग्रेस प्रत्याशी को ऊना व बिलासपुर में अधिक मिले। उनके पिता तीन हजार मतों से पराजित हुए थे। 1971 में उन्होंने दोबारा सांसद का चुनाव लड़ा और फिर हार गए। अगले वर्ष फिर विधानसभा चुनाव लड़ा और हार गए।
ठाकुर जगदेव पांच बार लगातार हमीरपुर के विधायक रहे
1977 में उन्होंने जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत गए। इसके बाद लगातार पांच बार हमीरपुर सदर के विधायक रहे। इस दौरान वह शांता कुमार की सरकार में मंत्री भी रहे। 1993 में चुनाव जीतने के कुछ माह बाद उनका निधन हो गया। इसके बाद भाजपा ने नरेंद्र ठाकुर को टिकट दिया लेकिन वह कांग्रेस प्रत्याशी अनीता वर्मा से से हार गए। इसके बाद भाजपा ने उनकी भाभी उर्मिल ठाकुर को टिकट दिया और अनिता वर्मा से चुनाव जीत गईं। उर्मिल इस दौरान संसदीय सचिव भी रहीं। 2003 में उन्हें अनीता वर्मा ने हरा दिया, क्योंकि नरेंद्र ठाकुर आजाद प्रत्याशी के रूप में खड़े हो गए थे। 2007-08 में उर्मिल ठाकुर को दोबारा भाजपा ने टिकट दिया और वह चुनाव जीत गईं। 2022 में नरेंद्र ठाकुर की हार के बाद हमीरपुर विधानसभा सीट पर आशीष शर्मा के नाम का डंका बजा और वह निर्दलीय रिकार्ड मतों से चुनाव जीत गए। जगदेव परिवार की विरासत आज राजनीति में संघर्ष के दौर से गुजर रही है।