
बिलासपुर एम्स के शोध में खुलासा, नींद पूरी न होने से प्रशिक्षु डाॅक्टर हो रहे मानसिक तनाव के शिकार
पोल खोल न्यूज़ | बिलासपुर/ शिमला
मेडिकल साइंस की पढ़ाई के दौरान नींद पूरी न होने से हिमाचल प्रदेश के कई प्रशिक्षु डाॅक्टर मानसिक तनाव के शिकार हो रहे हैं। इससे वह तनाव और अवसाद में जा रहे हैं। वहीं, एम्स बिलासपुर के शोध में ऐसे चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। एम्स ने हिमाचल के 400 डाॅक्टरों पर शोध किया है।
बता दें कि मई 2025 में एक अंतरराष्ट्रीय जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन से पता चला है कि मेडिकल के विद्यार्थी खराब नींद की वजह से मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं। यह चिंताजनक स्थिति एमबीबीएस छात्रों के शैक्षणिक प्रदर्शन और समग्र कल्याण को भी प्रभावित कर सकती है। अध्ययन में शामिल 400 मेडिकल विद्यार्थियों में से 76.7 फीसदी को कम सोने वालों के रूप में वर्गीकृत किया गया। मानसिक स्वास्थ्य के आकलन से और भी चौंकाने वाले परिणाम सामने आए हैं। 63 फीसदी विद्यार्थी चिंता, 32 फीसदी तनाव और 27 फीसदी अवसाद से पीड़ित पाए गए।
ये आंकड़े मेडिकल विद्यार्थियों के मानसिक स्वास्थ्य संकट को उजागर करते हैं। परिणामों से यह भी पता चला है कि नींद न आने से अवसाद की संभावना में 22 फीसदी, चिंता में 28 फीसदी और तनाव में 35 फीसदी की वृद्धि हुई है। यह इंगित करता है कि नींद आने में कठिनाई मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का एक महत्वपूर्ण संकेतक हो सकती है। नींद के लिए दवाइयों के उपयोग से अवसाद 26 फीसदी, चिंता 18 फीसदी और तनाव की 22 फीसदी संभावना कम हुई। शोधकर्ताओं ने औषधि निर्भरता के दीर्घकालिक प्रभावों के बारे में सावधानी बरतने की सलाह दी।
यह महत्वपूर्ण अध्ययन अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान बिलासपुर की शरीर क्रिया विज्ञान विभाग के शोधकर्ताओं की टीम ने किया है। वहीं, इस टीम में डॉ. पूनम वर्मा, डॉ. हितेश जानी, प्रीति भंडारी, भूपेंद्र पटेल और रूपाली परलेवार का योगदान रहा।
अध्ययन के निष्कर्ष में मेडिकल के विद्यार्थियों के लिए अच्छी नींद और मानसिक स्वास्थ्य सहायता दोनों पर केंद्रित लक्षित उपायों की जरूरत पर जोर दिया है। शोधकर्ताओं का मानना है कि शैक्षणिक संस्थानों को नींद जागरूकता कार्यक्रम लागू करने और विद्यार्थियों का मानसिक स्वास्थ्य को अच्छा रखने पर पर विचार करना चाहिए।