
हिमाचल में कैंसर, अधरंग और चलने में असमर्थ मरीजों को घर पर मिलेगा उपचार, स्वास्थ्य विभाग करेगा डाटा एकत्रित
पोल खोल न्यूज़ | चम्बा
केरल की तर्ज पर अब हिमाचल प्रदेश में कैंसर, अधरंग पीड़ित और चलने-फिरने में असमर्थ मरीजों को घर पर ही उपचार मिलेगा। पैलिएटिव केयर के जरिये इन मरीजों को घर-द्वार ही उपचार और दवाइयों की सहूलियत मिलेगी।
इसके लिए प्रदेश भर के कैंसर, अधरंग और चलने-फिरने में असमर्थ मरीजों का स्वास्थ्य विभाग डाटा एकत्रित करेगा। प्रत्येक जिले से इस प्रकार का डाटा एकत्रित कर स्वास्थ्य विभाग को भेजा जाएगा। इसके बाद इन लोगों को घर-द्वार उपचार और दवाइयों की सुविधा मिलेगी। स्वास्थ्य सचिव की ओर से सभी जिलों के सीएमओ के साथ हुई बैठक में उन्हें अपने-अपने जिलों से दो सप्ताह के भीतर ये डाटा एकत्रित कर भेजने को लेकर निर्देश जारी किए हैं।
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कैंसर जैसी जानलेवा, अधरंग या चलने-फिरने में असमर्थ हो चुके बुजुर्गों और नौजवानों को कई जगहों पर जहां एक तरफ घर परिवार और समाज के लोग तिरस्कार की नजर से देखते हुए उन्हें घरों में ही बंद करने के साथ वृद्धाश्रम या नारी निकेतन में छोड़ देते हैं। इस वजह से कई बार उन्हें समयानुसार दवाइयां या सही देखरेख न मिलने से उनकी हालत और भी बिगड़ जाती है। ऐसे में मरीजों के लिए पैलिएटिव केयर से समयानुसार उपचार और दवाइयां समेत उनकी देखभाल की जा सकेगी। स्वास्थ्य विभाग ने पैलिएटिव केयर के जरिये मरीजों को स्वस्थ करने का बीड़ा उठाया गया है। जिला स्तर पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा कैंसर, अधरंग पीड़ित और चलने-फिरने में असमर्थ मरीजों का डाटा एकत्रित करने का कार्य आशा वर्करों को सौंपा जाएगा। इस रिपोर्ट के आधार पर ही प्रदेश में पैलिएटिव केयर की शुरुआत होगी।
बता दें कि पैलिएटिव केयर यानी उपशामक देखभाल किसी भी उम्र के व्यक्ति को दी जाने वाली ऐसी देखभाल है, जिसका मकसद रोगी के जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाना होता है। डॉक्टर या टीम मरीज से बात करती है, उसकी समस्याओं को सुनती है। मरीज के मानसिक स्वास्थ्य पर भी ध्यान दिया जाता है। मरीज से जुड़े काम जैसे साफ-सफाई, दवाएं देना, खाना खिलाना आदि और कुछ जगहों पर संगीत और आध्यात्मिक सेशन भी आयोजित किए जाते हैं। जिला चंबा जिले में करीब 800 कैंसर, अधरंग पीड़ित और चलने-फिरने में असमर्थ मरीज हैं।
वहीं, चंबा के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. बिपन ठाकुर ने बताया कि स्वास्थ्य सचिव की ओर से केरल की तर्ज पर भी प्रदेश भर के जिलों में आने वाले कैंसर, अधरंग पीड़ित और चलने-फिरने में असमर्थ मरीजों को पैलिएटिव केयर के जरिये घर-द्वार ही उपचार और दवाइयां प्रदान करने की योजना हैं। दो सप्ताह में ये डाटा भेजा स्वास्थ्य विभाग को भेजा जाना निर्धारित किया गया है। आशा वर्कर डाटा एकत्रित करने का काम कर रहीं हैं।