
अब चूड़धार यात्रा के लिए चुकाना होगा शुल्क, जानें कितनी होगी चूड़धार यात्रा पर शुल्क की नई दरें
पोल खोल न्यूज़ | सिरमौर
हिमाचल प्रदेश के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल चूड़धार यात्रा पर अब श्रद्धालुओं को निर्धारित शुल्क अदा करना पड़ेगा। 11965 फीट की ऊंचाई पर स्थित चूड़धार जिले की सबसे ऊंची छोटी है, अब एक नई व्यवस्था के तहत श्रद्धालुओं से शुल्क लिया जाएगा। इस संबंध में विभिन्न शुल्क दरें तय कर दी गई हैं, जिन्हें अब लागू करने की तैयारी शुरू हो गई है।
चूड़धार यात्रा पर शुल्क की नई दरें
चूड़धार में प्रवेश के लिए विभिन्न श्रेणियों में शुल्क निर्धारित किए गए हैं, जो अलग-अलग प्रकार के यात्रियों के लिए होंगे। इस नई दरों की संरचना ईको डेवलपमेंट कमेटी चूड़धार द्वारा की गई है।
हिमाचली श्रद्धालु – 20 रुपये प्रति व्यक्ति
गैर हिमाचली श्रद्धालु – 50 रुपये प्रति व्यक्ति
विदेशी श्रद्धालु – 200 रुपये प्रति व्यक्ति
ट्रैकर/हाइकर्स – 100 रुपये
कैमरा शुल्क – फोन कैमरे को छोड़कर अन्य कैमरा के लिए 50-100 रुपये
मूवी/डाक्यूमेंट्री शूटिंग – 10,000-15,000 रुपये प्रतिदिन
शादी की शूटिंग – 3,000 रुपये प्रतिदिन
टेंटिंग शुल्क (भारतीय नागरिक) – 200, 300 और 400 रुपये प्रति टेंट
टेंटिंग शुल्क (विदेशी नागरिक) – 500 रुपये प्रति टेंट/दिन
खच्चर और घोड़े से यात्रा – 100 रुपये
इन शुल्कों में सोलन, शिमला, और सिरमौर के यात्रियों के लिए स्वैच्छिक छूट दी गई है, जिसमें टेंटिंग शुल्क शामिल नहीं है। इसके साथ साथ चूड़धार यात्रा पर जाने वाली जातर से किसी भी प्रकार का कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा। वहीं शिरगुल महाराज के मंदिर में जाने वाले सामान, खच्चर व घोड़े अथवा लोगों से भी कोई शुल्क नहीं वसूला जाएगा।
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इस शुल्क व्यवस्था का मुख्य उद्देश्य चूड़धार यात्रा के दौरान पर्यावरण की सुरक्षा और पवित्र स्थल की स्वच्छता बनाए रखना है। चूड़धार वाइल्ड लाइफ सेंचुरी और ईडीसी ने इस पहल को अंतिम रूप दिया है। यह शुल्क एक प्रकार का परमिट होगा, जो वन्यजीव अभ्यारण में प्रवेश के लिए श्रद्धालुओं को जारी किया जाएगा।
चूड़धार जाने वाले मुख्य रास्तों पर गुमटियां बनाई जाएंगी, जिनमें स्थानीय पंचायतों के युवाओं को तैनात किया जाएगा। इन गुमटियों का उद्देश्य यात्रियों से शुल्क लेना और यात्रा की व्यवस्था को सुचारू बनाना है। नौहराधार के रास्ते पर जमनाला और पुलवाहल के रास्ते में खड़ाच में गुमटियां बनाने का प्रस्ताव है।
वहीं, चूड़धार यात्रा से जुड़ी नई व्यवस्था से तीन पंचायतों के युवाओं को रोजगार मिलेगा। यात्रा शुल्क का 75 फीसदी हिस्सा सरकार के खाते में जाएगा, जबकि 25 फीसदी नवयुवक मंडलों के युवाओं को मिलेगा। टेंटिंग साइट से लिए जाने वाले शुल्क में 60 फीसदी हिस्सा नवयुवक मंडल को मिलेगा और बाकी 40 फीसदी सरकार के पास जाएगा।
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वहीं, वाइल्ड लाइफ के वन परिक्षेत्राधिकारी वीरेंद्र कुमार ने बताया कि यात्रा परमिट की दरें यानी शुल्क फाइनल कर लिया गया है। जल्द ही इसे लागू कर दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि इसमें तीन पंचायतों के युवाओं को भी रोजगार मिलेगा। यात्रा शुल्क का 75 फीसदी सरकार के खाते में जमा होगा। जबकि 25 फीसदी नवयुवक मंडलों के युवाओं को मिलेगा। टेंटिंग साइट से लिए जाने वाले शुल्क में 60 फीसदी हिस्सेदारी नवयुवक मंडल की होगी। जबकि 40 फीसदी सरकार को जाएगा. उन्होंने कहा कि शुल्क दरें लागू करने से पहले टेंडर भी किए जा सकते हैं। निर्धारित शुल्क दरों को उच्चाधिकारी के समक्ष रखा जाएगा। इसके बाद अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
चूड़धार में शिरगुल महाराज के दर्शनों के लिए लाखों श्रद्धालु हर साल आते हैं। यहां लंगर और ठहरने की व्यवस्था चूड़ेश्वर सेवा समिति द्वारा की जाती है। मई से यात्रा पर लगी रोक हटा दी जाएगी, और श्रद्धालु फिर से चूड़धार के दर्शन के लिए पहुंचने लगेंगे।
चूड़धार को लाखों श्रद्धालुओं का आस्था स्थल माना जाता है। यहां स्वामी कमलानंद जी पिछले 25 वर्षों से तपस्या कर रहे हैं। बर्फबारी के दौरान यह स्थान अत्यधिक कठिनाइयों से भरा होता है, लेकिन स्वामी जी ने यहाँ अपने साधना के माध्यम से इस स्थान को और भी पवित्र बना दिया है। शिरगुल महाराज के दर्शन के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं।
क्यों लगाया गया शुल्क?
चूड़धार, जो लाखों श्रद्धालुओं के लिए आस्था का प्रतीक है, अब एक नई व्यवस्था के तहत चलने जा रहा है। यह बदलाव पर्यावरण सुरक्षा और स्थान की स्वच्छता बनाए रखने के उद्देश्य से लिया गया है, साथ ही स्थानीय युवाओं को रोजगार भी मिलेगा। श्रद्धालुओं के लिए यह एक नई व्यवस्था साबित होगी, जिससे यात्रा को सुरक्षित और व्यवस्थित रूप से किया जा सकेगा।