
हिमाचल : कोलकाता नहीं, अब पालमपुर से बिकेगी कांगड़ा चाय
पोल खोल न्यूज़ | पालमपुर/ कांगड़ा
अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस पर कांगड़ा चाय के भविष्य को लेकर उम्मीदें फिर जाग उठी हैं। अपनी अनूठी सुगंध, स्वाद और फलों जैसी मिठास के लिए जानी जाने वाली कांगड़ा चाय को अब कोलकाता के बाजार की अनदेखी से मुक्ति मिलने वाली है। टी बोर्ड ऑफ इंडिया ने पालमपुर में बेयर हाउस (केंद्रीकृत भंडारण केंद्र) बनाने की दिशा में पहल शुरू कर दी है। इससे न केवल स्थानीय उत्पादकों को चाय बेचने में आसानी होगी, बल्कि यह चाय अपने मूल स्थान से ही खरीदी जा सकेगी। अब तक कोलकाता में असम और दार्जिलिंग चाय के साथ मिलाकर बेचे जाने के कारण कांगड़ा चाय की अलग पहचान दब जाती थी। कांगड़ा चाय के लिए 1849 में सर्वे हुआ था। इसके बाद 1852 में अग्रेजों के समय होल्टा हिली नगर टी एस्टेट की डाॅ. जॉनसन के समय स्थापना हुई थी। 1905 में कांगड़ा में आए भूकंप और भारत में अपने पैर उखड़ते देख अंग्रेजों ने कांगड़ा चाय से मुख मोड़ना शुरू कर दिया था।
बता दें कि कांगड़ा चाय के लगभग 400 लोग ही बागान मालिक हैं। इनमें से भी अधिकांश उत्पादन क्षेत्र चुनिंदा बागान मालिकों के पास है। अन्य छोटे व मध्यम चाय उत्पादकों के पास छोटे-छोटे टुकड़े चाय बागान के हैं। इस कारण ऐसे चाय बागान मालिकों के लिए वर्तमान में चाय उत्पादन आर्थिक रूप से व्यावहारिक नहीं रहा है। रही सही कसर श्रमिकों की समस्या ने पूरी कर दी।
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कृषि विभाग टी विंग के तकनीकी अधिकारी सुनील पटियाल ने बताया कि इस साल अप्रैल में शुरू हुए चाय के तूड़ान में कांगड़ा चाय के अच्छा उत्पादन होने के संकेत मिले हैं। 2024 में मई माह तक 1.37 किलोग्राम तूड़ान हुआ था, लेकिन 2025 में अब तक 1.50 किलोग्राम तूड़ान हो चुका है। बारिश अच्छी होती रही है तो इस साल अच्छा उत्पादन होगा।
टी बोर्ड इंडिया के एफएओ हेमचंद्रा अग्रवाल ने बताया कि टी बोर्ड ऑफ इंडिया ने चाय उत्पादन के लिए कई कदम उठाए हैं। इसके लिए पालमपुर में टी बोर्ड ऑफ इंडिया की बैठक भी हो चुकी है। अब तक टी बोर्ड ने किसानों को करीब 1.2 करोड़ रुपये तक सब्सिडी उपलब्ध करवाई है। अन्य चीजें भी मुहैया करवाई जा रही है।
वहीं, मेंबर टी बोर्ड ऑफ इंडिया विनय शर्मा ने बताया कि कांगड़ा चाय के उत्थान के लिए पालमपुर में टी बोर्ड ऑफ इंडिया एक बेयर हाउस बनाने के लिए प्रयासरत है। इसके लिए प्रयास चले हुए हैं। बेयर हाउस बनने से कांगड़ा चाय का भंडारण एक जगह हो सकेगा। इससे कांगड़ा चाय के खरीदार सीधे पालमपुर आएंगे, जिससे कोलकाता चाय बाजार के बजाय इस चाय को अलग बाजार की पहचान मिलेगी।