
जिस कृष्ण मूर्ति की पूजा करती थी मीरा बाई, वह नूरपुर के बृजराज मंदिर में विराजमान
कांगड़ा के नूरपुर में स्थित है हिमाचल का एकमात्र कृष्ण मीरा का मंदिर
रजनीश शर्मा। हमीरपुर
हिमाचल में श्री कृष्ण राधा के कई मंदिर हैं, लेकिन कांगड़ा जिले के नूरपुर में श्री बृजराज स्वामी मंदिर और सुजानपुर का मुरली मनोहर मंदिर अपने आप में खास है। ये मंदिर सिर्फ हिमाचल ही नहीं पूरी दुनिया में अनूठे श्री कृष्ण मंदिर हैं। आईए जानते हैं कि नूरपुर का बृज राज स्वामी मंदिर दूसरे मंदिरों से कैसे अलग हैं।
कांगड़ा जिले के नूरपुर में स्थित बृजराज मंदिर राजा जगत सिंह के किले में विद्यामान है। ये हिमाचल प्रदेश में एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां श्री कृष्ण और मीरा की मूर्तियां एक साथ विराजमान हैं। टीलेनुमा जगह पर बसा नूरपुर कभी राजपूत राजाओं की राजधानी हुआ करती थी. यहीं पर बने नूरपुर किले में श्री बृजराज स्वामी मंदिर है। श्री बृजराज स्वामी मंदिर के इतिहास की कहानी बेहद रोचक है।
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राजा जगत सिंह चितौड़गढ़ से लाए थे मूर्तियां
मंदिर के पुजारी ने बताया कि ‘नूरपुर के (1619 से 1623 ई.) राजा जगत सिंह अपने राज पुरोहित के साथ चित्तौड़गढ़ के राजा के निमंत्रण पर उनके वहां गए थे। राजा जगत सिंह और उनके राज पुरोहित को रात में महल में ठहराया। राजा के विश्राम स्थल के पास एक मंदिर था। रात के समय राजा को उस मंदिर से घुंघरूओं और संगीत की आवाजें सुनाई दी। राजा ने जब मंदिर में झांक कर देखा तो उन्हें कमरे में श्री कृष्ण की मूर्ति के सामने उनकी एक भक्त नाचते-गाते हुए दिखाई दी।
पुजारी ने बताया कि ‘राजा जगत सिंह ने सारी बात अपने राज पुरोहित को बताई। राज पुरोहित ने राजा जगत सिंह को बताया कि वो भक्त कोई और नहीं मीरा बाई ही थी। पुजारी ने राजा जगत सिंह को घर वापिसी पर चितौडगढ़ के राजा से इन मूर्तियों को उपहार स्वरूप मांग लेने का सुझाव दिया। अगले दिन राजा ने ऐसा ही किया।
चितौड़गढ़ के राजा ने भी खुशी-खुशी उपहार स्वरूप राजा जगत सिंह को श्री कृष्ण व मीरा बाई की मूर्तियां और मौलश्री का एक पेड़ दिया। मौला श्री का पेड़ आज भी मंदिर में मौजूद है। कहा जाता है कि ये वही मूर्ति है जिसकी मीराबाई पूजा किया करती थी.’।