पोल खोल न्यूज़ | शिमला
भारत में 30 देशों से जनवरी 2023 से नवंबर 2023 तक करीब 2 करोड़ पेटी सेब आयात हुआ है। भारी मात्रा में सेब आयात होने से सीए स्टोर में रखे हिमाचली सेब की मांग घट गई है। इससे बागवानों को करोड़ों के नुकसान उठाना पड़ रहा है। ईरान, अफगानिस्तान, न्यूजीलैंड और चिली, यूएसए और ब्राजील से सबसे अधिक सेब आयात हुआ है। ईरान का सेब अवैध रूप से भारत पहुंच रहा है, जिसके चलते इसके दाम कम है। साफ्ता (साउथ एशियन फ्री ट्रेड एरिया) के चलते बिना शुल्क चुकाए ईरानी सेब अफगानिस्तान के रास्ते भारत पहुंच रहा है। खर्चा कम होने के कारण यह सस्ता है। हिमाचल के बागवानों का करीब एक करोड़ पेटी सेब सीए स्टोर में है। विदेशों से भारी मात्रा में सस्ता सेब आयात होने से हिमाचल के बागवानों को नुकसान का डर सता रहा है।
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हर साल बाहरी देशों से भारी मात्रा में सेब आयात होता है। सेब की खपत के लिए विदेशों को भारत में बड़ा बाजार मिलता है। हिमाचल के बागवानों की मांग है कि जब तक स्थानीय सेब पूरी तरह खत्म नहीं होता, तब तक विदेशी सेब के आयात पर रोक रहनी चाहिए। सेब के आयात पर बेस रेट प्रतिकिलो 50 से बढ़ाकर 100 रुपये और विदेशों के सेब पर आयात शुल्क 100 फीसदी किया जाना चाहिए, तभी स्थानीय सेब उत्पादकों को फसल के संतोषजनक दाम मिलेंगे। हिमाचल सरकार ने भी विदेशी सेब पर आयात शुल्क 100 फीसदी करने की मांग केंद्र सरकार को भेजी है। बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी का कहना है कि केंद्र सरकार से आयात शुल्क बढ़ाने और डब्ल्यूटीओ में सेब बागवानों का मुद्दा प्रमुखता से उठानी की मांग की गई है।
वहीं, सब्जी एवं फूल उत्पादक संघ के सेब अध्यक्ष हरीश चौहान ने बताया कि केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल को पत्र लिखकर विदेशों से आयात हो रहे सेब का बेस रेट 100 रुपये प्रति किलो तथा आयात शुल्क 100 फीसदी करने का आग्रह किया है। डब्ल्यूटीओ में भी सेब उत्पादकों की मांग प्रमुखता से उठाने की मांग की गई है। विदेशों से पहुंच रहे सेब के कारण हिमाचल, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर के सेब उत्पादकों को नुकसान उठाना पड़ रहा है।