
ये लोग नहीं लड़ पाएंगे पंचायत चुनाव, कर्जदारों की उम्मीदों पर पानी
पोल खोल न्यूज़ | हमीरपुर
हिमाचल प्रदेश पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव की दहलीज पर खड़ा है। बता दें कि इस साल दिसंबर में कभी भी इन चुनावों की घोषणा हो सकती है। ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग ने इसकी तैयारियां शुरू कर दी हैं। इस बार चुनाव में उन लोगों के लिए बुरी खबर है, जिन्होंने सरकारी भूमि पर अवैध कब्जा किया है। ऐसे लोग पंचायती राज संस्थाओं का चुनाव नहीं लड़ सकेंगे।
वहीं, पंचायती राज विभाग ने स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं कि सरकारी भूमि पर अवैध कब्जा करने वाला कोई भी व्यक्ति चुनाव में हिस्सा नहीं ले सकता। इसके अलावा, जिन लोगों पर पंचायत या सहकारी समितियों की देनदारी बकाया हैं, वो भी चुनाव लड़ने के पात्र नहीं होंगे। पहली बार सहकारी समितियों की देनदारी को अयोग्यता का आधार बनाया गया है। साथ ही, अदालत द्वारा अपराधी घोषित व्यक्ति भी पंचायती राज चुनाव नहीं लड़ सकेगा। वहीं, पंचायती राज विभाग के अतिरिक्त निदेशक केवल शर्मा ने कहा कि अवैध कब्जा करने वाला कोई भी व्यक्ति पंचायती राज संस्थाओं का चुनाव लड़ने के योग्य नहीं होगा। इसके अलावा, पंचायत या सहकारी समिति की देनदारी बकाया होने पर भी उम्मीदवारी मान्य नहीं होगी।
ये भी पढ़ें : 25 अप्रैल तक बढ़ाई गई अग्निवीर भर्ती के लिए पंजीकरण की तिथि
बता दें कि हिमाचल प्रदेश में पंचायती राज संस्थाओं के जनप्रतिनिधियों का कार्यकाल इस साल समाप्त हो रहा है। ऐसे में चुनाव को लेकर सियासी सरगर्मियां तेज हो गई हैं। वर्तमान में जिला परिषद के कुल वार्डों की संख्या 249 है, लेकिन सरकार ने एक नया जिला परिषद वार्ड बनाने की घोषणा की है। इससे अब जिला परिषद वार्डों की संख्या 250 हो जाएगी। इसके अलावा, 10 नए विकासखंड बनने से अब प्रदेश में विकासखंडों की कुल संख्या 91 हो गई है। हालांकि, नए नगर निगम और नगर पंचायतों के गठन के कारण कई पंचायतों को इनमें शामिल कर लिया गया है। परिणामस्वरूप, हिमाचल प्रदेश में पंचायतों की संख्या 3,616 से घटकर 3,577 रह गई है।
हिमाचल प्रदेश राज्य चुनाव आयोग के आयुक्त अनिल कुमार खाची ने सरकार से 30 जून तक डिलिमिटेशन की प्रक्रिया पूरी करने का आग्रह किया है। इससे साल के अंत में प्रस्तावित पंचायती राज चुनावों की तैयारियां समय पर पूरी हो सकेंगी। संभावना है कि दिसंबर के दूसरे पखवाड़े में चुनाव की घोषणा हो सकती है। पिछली बार 21 दिसंबर, 2020 को चुनाव की घोषणा हुई थी, जिसके बाद 17, 19 और 21 जनवरी, 2021 को तीन चरणों में मतदान हुआ था।
ये भी पढ़ें: हिमाचल प्रदेश में इस बार नहीं बनेंगीं नई पंचायतें, इतनी का ही होगा पुनर्गठन
हिमाचल में पंचायती राज चुनावों में लोगों की सबसे ज्यादा रुचि रहती है। आम जनता पंचायत प्रतिनिधियों को चुनने के लिए उत्साहपूर्वक हिस्सा लेती है। इन चुनावों को लेकर कई महीने पहले से ही सियासी हलचल शुरू हो जाती है। चुनाव लड़ने के इच्छुक लोग पंचायत स्तर पर लोगों से संपर्क बढ़ाने में जुट जाते हैं। खासकर पंचायत का प्रधान और उपप्रधान बनना प्रतिष्ठा और प्रभाव का प्रतीक माना जाता है। यही कारण है कि सबसे ज्यादा लोग इन पदों के लिए दावेदारी पेश करते हैं। प्रधान का पद न केवल सम्मानजनक होता है, बल्कि इससे सामाजिक प्रभाव भी बढ़ता है। प्रधान को गांव के विकास कार्यों, योजनाओं और संसाधनों के वितरण में महत्वपूर्ण भूमिका मिलती है, जिससे उसे निर्णय लेने का अधिकार प्राप्त होता है। इसके अलावा, यह पद स्थानीय राजनीति में पहला कदम माना जाता है। कई लोग इसे विधायक या सांसद बनने की सीढ़ी के रूप में देखते हैं।