
जय हिंद …..कारगिल युद्ध में हिमाचल के 52 जवानों ने प्राणों की आहुति देकर लिखी थी विजय गाथा
विशेष रिपोर्ट : रजनीश शर्मा
पोल खोल न्यूज़ डेस्क
कारगिल युद्ध, भारत और पाकिस्तान के बीच मई से जुलाई 1999 के बीच लद्दाख के कारगिल जिले और नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पास हुआ एक संघर्ष था। यह युद्ध पाकिस्तानी घुसपैठियों को खदेड़ने के लिए भारतीय सेना के ‘ऑपरेशन विजय’ के तहत लड़ा गया था।
इस युद्ध में हिमाचल के 52 जवानों ने अपने प्राणों की आहुति देकर विजय गाथा लिखी थी। कारगिल युद्ध में सेना के सर्वोच्च सम्मान दो परमवीर चक्र समेत अनेक चक्र देवभूमि हिमाचल के वीरों के कंधे पर सुसज्जित हैं। कैप्टन विक्रम बतरा को (मरणोपरांत) और राइफलमैन संजय कुमार को परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया।
कांगड़ा के ये वीर हुए शहीद
जिला कांगड़ा से कैप्टन विक्रम बत्रा परमवीर चक्र, लेफ्टिनेंट सौरभ कालिया, जीडीआर बजिंद्र सिंह, आरएफएन राकेश कुमार, लांस नायक वीर सिंह, आरएफएन अशोक कुमार, आरएफएन सुनील कुमार, सिपाही लखवीर सिंह, नायक ब्रह्म दास, आरएफएन जगजीत सिंह, सिपाही संतोख सिंह, हवलदार सुरिंद्र सिंह, लांस नायक पदम सिंह, जीडीआर सुरजीत सिंह, जीडीआर योगिंद्र सिंह शामिल थे।
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हमीरपुर के आठ जवान तिरंगे में लिपट देश के लिए कुर्बान हुए
देश की सरहदों पर कुर्बानी देने में जिला हमीरपुर भी पीछे नहीं रहा। कारगिल युद्ध में यहां से आठ जवान शहीद हुए। हमीरपुर में बगवाड़ा के समलेहड़ा के हवलदार स्वामी दास चंदेल, बड़सर के कुलेहरा गांव के शहीद प्रवीन, ऊहल गांव से 14 जैक रेजिमेंट के शहीद हवलदार कश्मीर सिंह,सुजानपुर के बीड़ बगेहड़ा से 27 राजपूत रेजिमेंट के सिपाही राकेश कुमार,पंचायत अमरोह के ठनियानका गांव से 28 आरआर रेजिमेंट के सुनील कुमार, बरोटी से 13 जैक रेजिमेंट के दीप चंद शहीद हुए थे।
मंडी के इन रणबांकुरों ने पिया था शहादत का जाम
जिला मंडी-दीपक गुलेरिया, खेम चंद राणा, कृष्ण चंद, सरवण कुमार, टेक सिंह मस्ताना, राकेश कुमार चौहान, नरेश कुमार, हीरा सिंह, पूर्ण चंद, गुरदास सिंह, मेहर सिंह, अशोक कुमार।
हिमाचल के इन जिलों ने भी कुर्बान किए थे देश के लिए अपने सपूत
जिला बिलासपुर-उधम सिंह (वीर चक्र), मंगल सिंह, विजय पाल, राजकुमार, अश्वनी कुमार, प्यार सिंह, मस्तराम।
जिला शिमला-यशवंत सिंह, श्याम सिंह (वीर चक्र), नरेश कुमार, अनंतराम।
जिला ऊना-अमोल कालिया (वीर चक्र), मनोहर लाल।
जिला सोलन के शहीद-धर्मेंद्र सिंह, प्रदीप कुमार।
जिला सिरमौर के शहीद-कुलविंद्र सिंह, कल्याण सिंह (सेना मेडल)।
जिला चंबा के शहीद-खेम।
जिला कुल्लू के शहीद-डोला राम
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कारगिल युद्ध की विस्तृत कहानी:
शुरुआत:
मई 1999 में, पाकिस्तानी सैनिकों ने कारगिल के आसपास की ऊंचाईयों पर घुसपैठ कर नियंत्रण स्थापित करने की कोशिश की।
भारतीय प्रतिक्रिया:
भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन विजय’ के तहत घुसपैठ को रोकने और नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तानी सैनिकों को खदेड़ने के लिए कार्रवाई शुरू की।
लड़ाई का मुख्य भाग:
भारतीय सेना ने टाइगर हिल और अन्य महत्वपूर्ण चौकियों पर नियंत्रण वापस हासिल करने के लिए कड़ी लड़ाई लड़ी।
युद्ध का परिणाम:
भारतीय सेना ने पाकिस्तान के सैनिकों को खदेड़ दिया और कारगिल की चोटियों पर नियंत्रण वापस हासिल कर लिया।
सैनिकों की शहादत:
इस युद्ध में भारतीय सेना के 527 सैनिक शहीद हुए।कारगिल युद्ध में भारत की जीत के उपलक्ष्य में हर साल 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस मनाया जाता है।
कारगिल युद्ध के कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
लक्ष्य:
कारगिल युद्ध का मुख्य उद्देश्य पाकिस्तान के घुसपैठ को रोकना और नियंत्रण रेखा पर भारत की स्थिति को मजबूत करना था। कारगिल क्षेत्र बहुत ही ऊँचाई और दुर्गम इलाका है, जिससे युद्ध की स्थिति बहुत कठिन हो गई थी। भारतीय सेना ने इस युद्ध में एक कुशल सैन्य रणनीति का इस्तेमाल किया, जिसमें वायु सेना और जमीनी सैनिकों का समन्वय शामिल था।
अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया:
कारगिल युद्ध ने भारत और पाकिस्तान के बीच संबंधों में तनाव बढ़ा दिया था, लेकिन अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने दोनों देशों को बातचीत के माध्यम से समस्या का समाधान खोजने के लिए प्रोत्साहित किया। कारगिल युद्ध ने भारतीय सेना की वीरता, शौर्य और दृढ़ संकल्प को साबित किया। इस युद्ध ने देश की रक्षा के लिए भारतीय सेना के बलिदान और समर्पण को दर्शाया।