
राष्ट्रीय राजमार्ग निर्माण कंपनी की लापरवाही से स्कूल पर मंडराया खतरा
रजनीश शर्मा। हमीरपुर
जहां एक ओर भारी बारिश के चलते जिला प्रशासन ने एहतियातन सभी स्कूलों को बंद रखने के आदेश जारी किए हैं, वहीं राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला टौणी देवी एक गंभीर संकट का सामना कर रही है। राष्ट्रीय राजमार्ग निर्माण में लगी कंपनी की लापरवाही के चलते स्कूल भवन के ठीक पीछे भूस्खलन (लैंडस्लाइड) हो गया है। इससे स्कूल की पिछली दीवार से सटा मलबे का बड़ा ढेर जमा हो गया है, जिससे भवन की संरचनात्मक सुरक्षा को खतरा उत्पन्न हो गया है।
विद्यालय के प्रधानाचार्य रजनीश रांगड़ा ने जानकारी देते हुए बताया कि यह स्थिति अचानक नहीं बनी है, बल्कि इस निर्माण कार्य में बरती जा रही लापरवाहियों की वजह से पहले भी दो बार जिलाधीश महोदय को लिखित शिकायत भेजी जा चुकी है। इसके साथ ही कंपनी के उच्चाधिकारियों को भी बार-बार सूचित किया गया, परंतु आज तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। उन्होंने बताया कि सड़क किनारे बनाई जा रही नाली का निर्माण भी बिना सुरक्षा डंगे के शुरू कर दिया गया था, जो तकनीकी रूप से खतरनाक है। इससे निकला मलबा सीधा विद्यालय भवन के पीछे डाला जा रहा था, जिससे भारी बारिश के दौरान जल बहाव के साथ वह मलबा स्कूल भवन से आकर टकरा गया।
इस संबंध में एक लिखित शिकायत पुलिस चौकी टौणी देवी में भी दर्ज करवाई गई थी, परंतु दुर्भाग्यवश कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया गया।उन्होंने प्रशासन से पुनः अपील की है कि विद्यालय की सुरक्षा को प्राथमिकता पर लिया जाए। उन्होंने कहा कि यदि समय रहते उचित कदम नहीं उठाए गए तो किसी बड़ी दुर्घटना से इनकार नहीं किया जा सकता। विद्यालय में पढ़ने वाले सैकड़ों छात्रों की जान खतरे में पड़ सकती है। विद्यालय प्रबंधन समिति, अभिभावकों और स्थानीय नागरिकों में भी इस लापरवाही को लेकर भारी आक्रोश है। सभी ने प्रशासन से मांग की है कि निर्माण कंपनी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए और स्कूल परिसर को तत्काल सुरक्षित किया जाए। साथ ही मलबे की तुरंत सफाई करवाई जाए और दीवार की सुरक्षा के लिए मजबूत डंगे का निर्माण किया जाए।
गौरतलब है कि टौणी देवी क्षेत्र में पिछले कुछ दिनों से लगातार भारी वर्षा हो रही है, जिससे कई स्थानों पर भू-स्खलन और जलभराव की स्थिति बनी हुई है। ऐसे में विद्यालय के पीछे जमा यह मलबा किसी भी समय और बड़ी आपदा को जन्म दे सकता है। यह स्थिति न केवल एक विद्यालय की सुरक्षा का प्रश्न है, बल्कि यह एक गंभीर उदाहरण है कि किस प्रकार विकास कार्यों में लापरवाही और जवाबदेही की कमी से सार्वजनिक संस्थान और जान-माल खतरे में आ जाते हैं।