
Sea turtle seen while scuba diving at Hol Chan Marine Reserve. Ambergris caye, Belize, Central America.
दीक्षा ठाकुर। हमीरपुर
श्री रेणुकाजी वेटलैंड में कछुओं की पांच प्रजातियां पाई गई हैं। यहां प्राकृतिक तौर पर प्रजनन से कछुओं का कुनबा बढ़ रहा है। कछुओं को श्री रेणुकाजी झील और परशुराम ताल में विचरण करते अकसर देखा जा सकता है। गर्मी और बरसात में कछुए बिल्कुल नजदीक दिखाई देते हैं, जो यहां आने वाले पर्यटकों के लिए भी भारी आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं।
वेटलैंड में कछुओं की और प्रजातियां भी हो सकती हैं। वन्य प्राणी विभाग कछुओं की संख्या को बढ़ाने के लिए अध्ययन कर रहा है। बता दें कि कछुओं का पर्यावरण संरक्षण में भी विशेष महत्व है। ये पानी को स्वच्छ रखने में सहायक हैं। पूरे उत्तरी जोन में प्राकृतिक तौर पर कछुए केवल रेणुकाजी में पाए गए हैं। अन्य स्थानों पर अंडों से इन्हें विकसित करवाया जाता है।
ये हैं पांच प्रजातियां: श्री रेणुकाजी झील में नरम व कठोर क्वच वाले कछुओं की पांच प्रजातियां होने का अनुमान हैं, जिनमें इंडियन साफ्टशैल, इंडियन ब्लैक, इंडियन फ्लैपशेल, इंडियन रुफ्ड और रेड इयर्ड स्लाइडर शामिल हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार इनमें से रेड इयर्ड स्लाइडर कछुआ भारतीय प्रजाति नहीं है और एक इनवेसिव प्रजाति है।
श्री रेणुकाजी वेटलैंड में कछुओं की पांच प्रजातियां पाई गई हैं, जो प्राकृतिक तौर पर यहां विचरण कर रहे हैं। इन्हें कहीं से लाया नहीं गया है। करीब 20 हेक्टेयर क्षेत्र में फैली श्री रेणुकाजी झील में इनकी संख्या अभी कम है। विभाग इनकी संख्या बढ़ाए जाने को लेकर अध्ययन करने में जुटा है। इनके सफल प्रजनन की संभावनाओं को तलाशा जाएगा। – सौरभ पुंडीर, जीव वैज्ञानिक वन्य प्राणी विहार, श्री रेणुकाजी