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महाकुंभ का समापन: इतिहास में छोड़ी अमिट छाप, पवित्र जल में शांति, भक्ति की गूंज
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महाकुंभ 2025 का भव्य समापन, 66 करोड़ श्रद्धालुओं ने किया पुण्य स्नान
पोल खोल न्यूज़ | प्रयागराज
महाकुंभ 2025 का समापन बुधवार यानि 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर त्रिवेणी संगम में अंतिम स्नान के साथ हुआ। आध्यात्मिक एकता, दिव्य ऊर्जा और अलौकिक महत्व से भरपूर इस ऐतिहासिक आयोजन में 66 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने भाग लिया।
वहीं, इस दौरान उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कुंभ मेले की ऐतिहासिक सफलता पर संतोष व्यक्त करते हुए श्रद्धालुओं का आभार प्रकट किया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में महाकुंभ का आयोजन सुचारू रूप से संपन्न हुआ। उन्होंने महाकुंभ के दौरान हुई एक दुखद घटना पर शोक व्यक्त करते हुए प्रभावित परिवारों के प्रति संवेदना जताई।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा कि महाकुंभ-2025 श्रद्धा, एकता और समानता का महायज्ञ है, जो महाशिवरात्रि के स्नान के साथ अपने पूर्णता की ओर बढ़ रहा है। उन्होंने बताया कि 13 जनवरी, पौष पूर्णिमा से लेकर 26 फरवरी, महाशिवरात्रि तक 66 करोड़ 21 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी संगम में पुण्य स्नान किया।
उन्होंने कुंभ मेले के सफल आयोजन के लिए सभी विभागों, सुरक्षा बलों, सफाई कर्मियों और स्थानीय नागरिकों को धन्यवाद दिया।
विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन
महाकुंभ को दुनिया का सबसे बड़ा शांतिपूर्ण धार्मिक आयोजन माना जाता है। यह हर 12 वर्षों में चार स्थानों—हरिद्वार, उज्जैन, नासिक और प्रयागराज—में आयोजित होता है, जबकि महाकुंभ हर 144 वर्षों में एक बार प्रयागराज में संपन्न होता है। इस वर्ष 45 दिनों में 45 करोड़ श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद थी, लेकिन एक महीने में ही यह संख्या 66 करोड़ के पार पहुंच गई।
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शाही स्नान बना मुख्य आकर्षण
महाकुंभ का सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठान ‘शाही स्नान’ रहा, जिसमें लाखों श्रद्धालु त्रिवेणी संगम में स्नान कर मोक्ष की कामना करते हैं।
समुद्र मंथन से जुड़ी है कुंभ की पौराणिक कथा
पौराणिक मान्यता के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान देवताओं और असुरों के बीच अमृत कलश को लेकर हुए संघर्ष में अमृत की बूंदें चार स्थानों—प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक—पर गिरी थीं। इन्हीं स्थानों पर कुंभ मेले का आयोजन किया जाता है।
महाकुंभ 2025 के ऐतिहासिक और दिव्य आयोजन ने पूरी दुनिया को भारतीय संस्कृति, आस्था और एकता का अद्भुत संदेश दिया।