
फर्जी दस्तावेजों से लोन देने पर पूर्व बैंक मैनेजर समेत पांच को कैद और जुर्माना
पोल खोल न्यूज़ | शिमला
पंजाब नेशनल बैंक में फर्जी दस्तावेजों से 41 फसल ऋण देने के दो अलग-अलग मामलों में सीबीआई की विशेष अदालत ने तत्कालीन बैंक मैनेजर जो कि अब सेवानिवृत्त हो गए है, समेत पांच लोगों को कैद और जुर्माना लगाया है। मैनेजर अमर सिंह बोध को तीन साल की कैद, 70 हजार जुर्माना, धर्मचंद, लेख राज और ताशी फुंचोग को चार साल, बबली शर्मा को तीन साल की कैद और अलग-अलग कुल 2.65 लाख जुर्माना भी लगाया। जुर्माना अदा न करने पर चार माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। शिमला में सीबीआई के विशेष न्यायाधीश डॉ. परविंदर सिंह अरोड़ा ने यह फैसला सुनाया है।
वहीं, मामला पीएनबी की ढालपुर शाखा (कुल्लू) का है। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (एसीबी) शिमला शाखा ने मंडी सर्कल प्रमुख राजीव खन्ना की शिकायत पर 11 अप्रैल 2015 को आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 420, 467, 468 और 471 के साथ धारा 120-बी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 13 (2), 13 (1) (डी) में मामला दर्ज किया था। आरोप लगे कि साल 2010 से 2012 की अवधि के दौरान तत्कालीन प्रबंधक ने एजेंटों और बिचौलियों के साथ मिलकर फर्जी राजस्व दस्तावेजों और गैर-भार प्रमाण पत्र (एनईसी) पर 41 फसल ऋण स्वीकृत कर दिए। जांच में सामने आया था कि 41 केसीसी में से लेख राज और धर्मचंद के ऋण आवेदनों पर तस्वीर उनकी लगाई गई थी, जबकि ऋण दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किसी और के थे। अभियोजन पक्ष के मुताबिक दोषी एएस एसके बोध सहित अन्य के खिलाफ अन्य 39 चार्जशीट पर निर्णय आना अभी बाकी है।
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बताते चलें कि दो अलग-अलग आरोप पत्रों के मुताबिक दोषी लेख राज ने 14 दिसंबर 2010 को 3 लाख रुपये और धर्मचंद ने 27 फरवरी 2011 को 5 लाख रुपये के ऋण के लिए आवेदन किया था। इसके लिए उन्होंने कथित रूप से पटवारी की जारी की गई जमाबंदी सहित केवाईसी दस्तावेज और राशन कार्ड की प्रति का हलफनामा भी दिया। इसके बाद उनके खातों में धनराशि स्थानांतरित कर दी गई। बैंक की ऑडिट रिपोर्ट में 1.83 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी सामने आई। अनुसूची घोषणा पत्र की जांच में पाया गया कि बैंक प्रबंधक एएस बोध ने तहसीलदार कुल्लू को बैंक के पक्ष में उपरोक्त भूमि पर प्रभार सृजन की आवश्यक कार्रवाई के लिए भेजा था। पटवारियों की जांच के अनुसार उक्त भूमि पर आरोपी लेख राज और धर्मचंद का स्वामित्व गलत तरीके से दर्शाया गया था।
वहीं, अदालत के मुताबिक दोषी एएस बोध सहित सभी दोषियों ने आपराधिक षड्यंत्र रचकर ऋण वितरित किया। दोषी ताशी फुंचोग ने जमाबंदी के साथ अनुसूची घोषणा पत्र पर जाली प्रभार सृजन रिपोर्ट तैयार की थी, जबकि दोषी बबली शर्मा, जो बैंक में ग्राहक सुविधाकर्ता थी। उसने दोषी लेख राज और धर्मचंद की कृषि भूमि के संबंध में झूठी घोषणा देखी। इसके अलावा एएस बोध ने ऋण अनुभाग का प्रभारी होने के नाते कृषि भूमि का दौरा किए बिना ऋण मंजूरी की सिफारिश की थी।