
कर्मचारियों से अधिक भुगतान किए गए वेतन की वसूली पर रोक बरकरार
पोल खोल न्यूज़। शिमला
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने तृतीय श्रेणी कर्मचारियों से अधिक भुगतान किए गए वेतन की वसूली पर लगी रोक को बरकरार रखा है। मुख्य न्यायाधीश गुरमीत सिंह संधावालिया और न्यायाधीश रंजन शर्मा की खंडपीठ ने राज्य सरकार की अपीलों को खारिज करते हुए एकल न्यायाधीश के फैसले को सही ठहराया। एकल न्यायाधीश ने राज्य सरकार को कर्मचारियों का वेतन दोबारा निर्धारित करने की अनुमति दी थी, लेकिन अधिक भुगतान की गई राशि की वसूली पर रोक लगा दी थी।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए अदालत ने कहा कि यदि किसी कर्मचारी को अधिक वेतन का भुगतान नियोक्ता की गलती से हुआ है और वह कर्मचारी धोखाधड़ी में शामिल नहीं है, तो वसूली की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। विशेषकर जब वह भुगतान कई वर्षों से किया गया हो या कर्मचारी सेवानिवृत्त हो गए हों। इस मामले में 23 दिसंबर 2021 को स्वास्थ्य सेवा निदेशक के संज्ञान में आया था कि शिमला जिले के स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को 1,410 रुपये का प्रारंभिक वेतन मिल रहा था, जबकि अन्य जिलों में यह 1,365 रुपये था।
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31 दिसंबर 2021 को मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने इस गलती को स्वीकार किया और वेतन को 1,365 रुपये तय करने की सिफारिश की। हालांकि, यह त्रुटि 2020 में ही सामने आई थी, लेकिन राज्य सरकार ने वेतन निर्धारण की गलती को ठीक करने और वसूली के आदेश अगस्त 2022 में पारित किए। इस बीच कर्मचारियों को इस मामले में कोई पूर्व सूचना नहीं दी गई थी। अदालत ने यह आदेश सरकार बनाम नित्यानंद और अन्य मामले में दिए हैं। अदालत ने यह भी कहा कि 2017 से 2022 तक की अवधि में इस गलती का कोई जिम्मेदार ठहराया जाए, परंतु वसूली के लिए कर्मचारियों को पूर्व सूचना देना अनिवार्य था। इसके साथ ही राज्य सरकार का यह तर्क कि यह गलती केवल शिमला जिले में हुई थी, इसे भी अदालत ने खारिज कर दिया।