रजनीश शर्मा । हमीरपुर
बदलते समय के साथ हिमाचल के किसान भी अब खेती में बदलाव ला रहे हैं। भले ही प्राकृतिक खेती की तरफ किसानों का रुझान बढ़ता जा रहा है, लेकिन इस रुझान को अभी वक्त लगेगा, क्योंकि प्रदेश ने परंपागत अनाजों को खो दिया है। अब कई अनाज ढूंढे नहीं मिल रहे। । 19 पौष्टिक तत्त्वों और प्रचूर मात्रा में कैल्शियम प्रदान करने वाले कोदरा की खेती लगभग विलुप्त हो गई है। इसके बारे में पहाड़ी में एक कहावत अभी भी प्रसिद्ध है .. मंडल राजा, जाली सेको, ताली ताजा। इसका मतलब यह हुआ कि मंडल (कोदरा) सभी अनाजों का राजा है, इसकी बनाई रोटी जब भी सेको तभी ताजी नजर आती है। मंडल के अनाज में कभी कीड़ा नहीं लगता। अधिकतर इसे कोदरे के रूप में जाना जाता है।
कोदरा का परिचय
यह एक अनाज है जिसकी खेती की जाती है। कोदरा का पौधा धान के जैसा ही होता है, लेकिन खास बात यह है कि इसकी खेती में धान से बहुत कम पानी की जरूरत होती है। आमतौर पर लोग कोदरे का सेवन केवल एक अनाज के रूप में ही करते हैं। बहुत लोगों को यह नहीं पता होता है कि यह एक औषधि है और इसका का प्रयोग कर कई रोगों का इलाज किया जाता है।
दरअसल कोदरा ही ऐसा अन्न है जिसे लम्बे समय तक रखने से यह खराब नहीं होता है या इसमें कीड़े आदि नहीं लगते हैं। आप कोदरा का प्रयोग कर कफ-पित्त दोष, मल-मूत्र विकार में लाभ पा सकते हैं। इसके साथ ही शरीर की जलन, विष उतारने के लिए भी कोदरा का उपयोग होता है।
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कोदरा क्या है
कोदरा का पौधा 60-90 सेमी तक ऊँचा, सीधा, धान के पौधे जैसा होता है। इसके बीज चमकीले, गहरे बैंगनी रंग के, छोटे, सफेद, गोल सरसों के समान होते हैं। इसका रंग श्यामला होता है।
कोदरा के औषधीय गुण
कोदरा , कोदो या कोद्रव के औषधीय प्रयोग (kodo millet benefits), प्रयोग की मात्रा एवं विधियां ये हैंः-
रूसी हटाने के लिए कोदो का प्रयोग लाभदायक
कोदरा को जलाकर उसकी भस्म बना लें। इसमें जल मिलाकर सिर पर लेप करने से दारुणक (रूसी की समस्या) में लाभ होता है
घेघा रोग में कोदरा का उपयोग फायदेमंद
जलकुम्भी भस्म को गोमूत्र में पाकर इसे कपड़े से छान लें। इसे कोदरा के भात के साथ खाने से गले की गांठ (घेंघा) रोग ठीक होता है।
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सांसों की बीमारी और खांसी में कोदरा से फायदा
कोदरा के बीजों का भस्म बनाकर 1-2 ग्राम भस्म में शहद मिलाकर सेवन करने से सांसों के रोग और खांसी में लाभ होता है।
पेट के रोग में कोदरा के इस्तेमाल से फायदा
कोदरा का भात बनाकर दही के साथ खिलाने से या कोदरा की खीर बनाकर खिलाने से पेट के दर्द में लाभ होता है।
कोदरा से बावासीर का इलाज
कोदरा का भात बनाकर जूस आदि या कांजी मिलाकर बवासीर के रोगी को खिलाने से लाभ होता है।
डायबिटीज में कोदरा से लाभ
कोदरा से बने अनाज का सेवन करना डायबिटीज में फायदा पहुंचाता है।
लकवा में फायदेमंद कोदो के गुण
कोदरा को पीसकर उसकी रोटी आदि खाने वाले आहार बना लें। इसे नमक-रहित कम तेल में पकाए हुए पत्ते वाली सब्जियों के साथ सेवन करना चाहिए।
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साइनस में कोदरा के गुण से फायदा
भोजन में नियमित रूप से कोदरा के धान से आहार को दही के साथ सेवन करें। इससे साइनस में तुरंत लाभ होता है।
फोड़े की परेशानी में कोदरा का प्रयोग फायदेमंद
कोदरा को पीसकर इसे फोड़ा पर पट्टी की तरह बाधें। इससे फोड़ा पककर फूट जाता है।
त्वचा की रौनक बढ़ाता है कोदरा
बेसन तथा हल्दी के साथ कोदरा के चूर्ण को मिलाकर लगने से त्वचा की सुन्दरता की वृद्धि होती है।
सूजन की समस्या में कोदरा से लाभ
कोद्रव के आटे की मोटी रोटी बना लें। इसमें एक तरफ हल्दी लगाकर हल्का गर्म करके बांधने से सूजन ठीक हो जााती है।
कोदरा के उपयोगी भाग
- दानें (Grains)
- बीज
- पंचांग
कोदरे के प्रयोग की मात्रा
चिकित्सका के लिए कोद्रव का प्रयोग करने से पहले चिकित्सक से सलाह जरूर लें।
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कोदरा से नुकसान
कोदरा से ये नुकसान भी हो सकते हैैंः-
- कोदरे का अत्यधिक मात्रा में सेवन करने से वातकारक तथा कब्ज की समस्या हो सकती है।
- कोद्रव का अत्यधिक मात्रा में सेवन करने से किसी-किसी को उल्टी तथा बुखार हो सकता है।